भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने पिछले पाँच साल के खुदाई बजट का 25% गुजरात में ख़र्च किया। इसमें से भी 94% पीएम मोदी के गृहनगर वडनगर में ख़र्च किया गया। यह जानकारी केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा हाल ही में राज्यसभा में केरल के सांसद ए. रहीम के सवाल के जवाब में संसद में पेश आँकड़ों पर आधारित है।

इन आँकड़ों पर दिप्रिंट की एक विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, एएसआई ने 2020-2024 में अपनी खुदाई गतिविधियों के लिए कुल 34.81 करोड़ रुपये खर्च किए। इसमें से क़रीब 25% यानी 8.53 करोड़ रुपये गुजरात में खर्च किए गए। गुजरात में खर्च की गई इस राशि का 94% हिस्सा यानी 8.03 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडनगर में खुदाई कार्यों पर खर्च किया गया। इस खुलासे ने पुरातत्व गतिविधियों में संसाधनों के आवंटन को लेकर व्यापक चर्चा छेड़ दी है।
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वडनगर पर विशेष ध्यान

वडनगर गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित एक छोटा सा शहर है। यह न केवल प्रधानमंत्री मोदी का गृहनगर है, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से भी अहम है। भारतीय पुरातत्व विभाग यानी एएसआई ने 2020 से 2024 तक हर साल वडनगर में खुदाई कार्य किए, जिसमें प्राचीन बौद्ध मठ, मौर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-स्किथियन, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल और गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक काल की सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े प्रमाण मिलने की बात कही गई है। वडनगर में खोजे गए अवशेषों में मिट्टी के बर्तन, तांबे, सोने, चांदी और लोहे की वस्तुएँ, जटिल डिजाइन वाली चूड़ियाँ, और इंडो-ग्रीक शासक अपोलोडोटस के सिक्कों के सांचे शामिल हैं।

गुजरात में कितना ख़र्च हुआ?

गुजरात में वडनगर के अलावा, एएसआई ने वलभीपुर, विहार, सरवाल और लोथल जैसे स्थलों पर भी खुदाई की। हालाँकि, इन स्थलों पर खर्च की गई राशि वडनगर की तुलना में नगण्य रही। कुल 8.53 करोड़ रुपये में से 8.03 करोड़ रुपये अकेले वडनगर में खर्च किए गए, जो गुजरात के लिए आवंटित बजट का 94% है। 

बजट के इस तरह आवंटन से सवाल उठाता है कि क्या यह आवंटन ऐतिहासिक महत्व के आधार पर किया गया या अन्य फैक्टरों ने इसमें भूमिका निभाई।

अन्य राज्यों में कितना खर्च हुआ?

पिछले पांच वर्षों में एएसआई ने 17 राज्यों में 58 स्थलों पर खुदाई कार्य किए। इनका कुल खर्च 34.81 करोड़ रुपये रहा। गुजरात, मध्य प्रदेश और ओडिशा में छह-छह खुदाई परियोजनाएं थीं, जबकि हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पांच-पांच, और बिहार, तमिलनाडु और राजस्थान में चार-चार परियोजनाएँ थीं। दिप्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार कुल खर्च का 50% से अधिक केवल छह स्थलों- वडनगर (गुजरात), राखीगढ़ी (हरियाणा), कसेरुआ खेड़ा (हरियाणा), रत्नागिरी (ओडिशा), बहज (राजस्थान), और अधिचनल्लूर (तमिलनाडु)- पर खर्च किया गया।

हरियाणा का राखीगढ़ी हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा स्थल है। इसको 5.47 करोड़ रुपये में से 1.86 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, जो हरियाणा के लिए कुल बजट का 34% है। कसेरुआ खेड़ा में 1.83 करोड़ रुपये खर्च किए गए, जहां पेंटेड ग्रे वेयर काल (1100-800 ईसा पूर्व) के अवशेष मिले, जिन्हें 'महाभारत काल' से जोड़ा जाता है।
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बजट में हुई बढ़ोतरी

एएसआई का कुल बजट पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है जो 2019-20 में 1,036.41 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 1,278.49 करोड़ रुपये हो गया है। हालाँकि, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की 2022 की रिपोर्ट में उजागर किया गया कि एएसआई अपने कुल बजट का केवल 1% से भी कम हिस्सा अन्वेषण और खुदाई पर खर्च करता है। 2022 में संस्कृति मंत्रालय ने संसद की लोक लेखा समिति को आश्वासन दिया था कि वह इस हिस्से को 5% तक बढ़ाएगा, लेकिन सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, यह लक्ष्य हासिल नहीं हुआ।

वडनगर का ऐतिहासिक महत्व

वडनगर का इतिहास कम से कम 800 ईसा पूर्व तक जाता है। 2016 से 2023 तक चली खुदाई में 20 मीटर की गहराई तक सात सांस्कृतिक परतें सामने आईं, जो मौर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-स्किथियन, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल, और गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक काल को दर्शाती हैं।

आईआईटी खड़गपुर, जेएनयू, डेक्कन कॉलेज और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के विशेषज्ञों के सहयोग से किए गए अध्ययन में पाया गया कि वडनगर की सभ्यता हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद भी निरंतर बनी रही, जिसने 'डार्क एज' की धारणा को चुनौती दी। शहर में एक प्राचीन बौद्ध मठ, चैत्य, और स्तूप के अवशेष भी मिले हैं, जो इसे बौद्ध धर्म के साथ जोड़ते हैं। वडनगर को हाल ही में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। सरकार यहाँ एक संग्रहालय बनवा रही है जहाँ 40,000 से अधिक कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा।
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पर्यटन, बुनियादी ढांचे में निवेश

वडनगर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए केंद्र और गुजरात सरकार ने कई परियोजनाएं शुरू की हैं। शर्मिष्ठा झील के किनारे वाटर स्क्रीन प्रोजेक्शन शो, म्यूजिकल फाउंटेन, और बेहतर सड़क नेटवर्क जैसे प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए हैं। 2022 में गुजरात सरकार ने 500 करोड़ रुपये की लागत से सात पुरातात्विक स्थलों को पुनर्विकास के लिए लिया, जिसके कारण कुछ खुदाई कार्य स्थगित कर दिए गए।

वडनगर को लेकर विवाद

कुछ आलोचकों का मानना है कि वडनगर में भारी निवेश का कारण इसका पीएम मोदी से संबंध होना है। द फेडरल की एक रिपोर्ट के अनुसार बौद्ध अवशेषों की खुदाई को 2022 में रोक दिया गया। आरोप लगाया गया कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि शहर के हिंदू इतिहास को बढ़ावा दिया जा सके। एएसआई ने इन आरोपों को खारिज किया है। हालाँकि, एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में खुदाई की गति बढ़ी है और देश भर में अधिक स्थलों पर काम किया जा रहा है।

वडनगर में एएसआई के भारी निवेश ने इस शहर को पुरातात्विक और पर्यटन के नक्शे पर ला खड़ा किया है, लेकिन बजट के असंतुलित आवंटन ने सवाल भी खड़े किए हैं। जबकि वडनगर का ऐतिहासिक महत्व निर्विवाद है, संसाधनों के उपयोग और प्राथमिकताओं पर पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग बढ़ रही है।