एएसआई का कुल बजट पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है जो 2019-20 में 1,036.41 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 1,278.49 करोड़ रुपये हो गया है। हालाँकि, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की 2022 की रिपोर्ट में उजागर किया गया कि एएसआई अपने कुल बजट का केवल 1% से भी कम हिस्सा अन्वेषण और खुदाई पर खर्च करता है। 2022 में संस्कृति मंत्रालय ने संसद की लोक लेखा समिति को आश्वासन दिया था कि वह इस हिस्से को 5% तक बढ़ाएगा, लेकिन सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार, यह लक्ष्य हासिल नहीं हुआ।
वडनगर का ऐतिहासिक महत्व
वडनगर का इतिहास कम से कम 800 ईसा पूर्व तक जाता है। 2016 से 2023 तक चली खुदाई में 20 मीटर की गहराई तक सात सांस्कृतिक परतें सामने आईं, जो मौर्य, इंडो-ग्रीक, इंडो-स्किथियन, हिंदू-सोलंकी, सल्तनत-मुगल, और गायकवाड़-ब्रिटिश औपनिवेशिक काल को दर्शाती हैं।
आईआईटी खड़गपुर, जेएनयू, डेक्कन कॉलेज और भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला के विशेषज्ञों के सहयोग से किए गए अध्ययन में पाया गया कि वडनगर की सभ्यता हड़प्पा सभ्यता के पतन के बाद भी निरंतर बनी रही, जिसने 'डार्क एज' की धारणा को चुनौती दी। शहर में एक प्राचीन बौद्ध मठ, चैत्य, और स्तूप के अवशेष भी मिले हैं, जो इसे बौद्ध धर्म के साथ जोड़ते हैं। वडनगर को हाल ही में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में शामिल किया गया है। सरकार यहाँ एक संग्रहालय बनवा रही है जहाँ 40,000 से अधिक कलाकृतियों को प्रदर्शित किया जाएगा।