नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए को आख़िरकार अधिसूचित कर दिया गया। यानी यह अब लागू हो गया। इसको क़रीब पाँच साल पहले ही क़ानून बना दिया गया था। लेकिन इसको लागू किए जाने और पूरी प्रक्रिया के लिए नियम-क़ायदों को अधिसूचित नहीं किया गया था और इस वजह से इसे लागू नहीं किया जा सका था। इसका मतलब है कि क़ानून बने क़रीब पाँच साल होने के बावजूद अब तक किसी को भी इसके तहत नागरिकता नहीं मिल सकी है।
चुनाव से ऐन पहले नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू
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- 29 Mar, 2025
नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित क्यों किया गया? पाँच साल पहले इसे क़ानून क्यों बनाया गया था? इसे लागू करने में देरी क्यों हुई?

सीएए को उस दिन अधिसूचित किया गया है जिस दिन इलेक्टोरल बॉन्ड के मामले में एसबीआई को झटका लगा है। एसबीआई ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों के बारे में जानकारी देने के लिए तीन माह का समय मांगा था जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया और 24 घंटे के भीतर इसको मुहैया कराने का आदेश दिया। सीएए को दिसंबर 2019 में अधिनियमित किया गया था और 10 जनवरी, 2020 को यह पूरी तरह क़ानून बन गया था। लेकिन सीएए नियमों को अभी तक अधिसूचित नहीं किया गया था। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान के नागरिकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इन देशों के हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदाय के उन लोगों को नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे।