कोरोना लॉकडाउन के वक़्त तो कामगार बुरी तरह प्रभावित हुए थे, लेकिन अब उनपर कैसा असर है और क्या उनकी हालत अब सुधर रही है? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए एक के बाद एक सर्वे रिपोर्टें की जा रही हैं। हाल की रिपोर्टों में भले ही अर्थव्यवस्था पटरी पर आती दिख रही है, लेकिन सर्वे में सभी कामगार लोगों की ज़िंदगी पटरी पर आती नहीं दिख रही है। चाहे वह नौकरी मिलने का मामला हो या लॉकडाउन से पहले जैसी कमाई का।
अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के एक ताज़ा सर्वे में भी कुछ ऐसी ही रिपोर्ट सामने आई है। पहले अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय ने ही अप्रैल और मई में 4942 कामगारों पर सर्वे किया था। अब उसके छह महीने बाद विश्वविद्यालय के शोधार्थियों ने सितंबर से नवंबर तक उन्हीं कामगारों में से 2778 कामगारों का इंटरव्यू लिया है।