30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गाँधी की हत्या की गई थी तब या उसके बाद के भी कई दशकों में शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि कभी विनायक दामोदर सावरकर की तुलना उस महात्मा गांधी से कर दी जाएगी जिनके बारे में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था- 'भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।'
सरकारी पत्रिका में सावरकर को गांधी के बराबर खड़ा करने की कोशिश क्यों?
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- 17 Jul, 2022
क्या महात्मा गांधी और विनायक दामोदर सावरकर को एक तराजू में तौला भी जा सकता है? आख़िर गांधी स्मृति और दर्शन स्मृति के ताजा अंक में सावरकर का कद गांधी के बराबर क्यों पेश करने की कोशिश की गई है?

आज उन्हीं महात्मा गांधी की यादों को सहेजकर रखने के लिए स्थापित संस्था गांधी स्मृति और दर्शन समिति की पत्रिका में सावरकर को महात्मा गांधी के बरक्स लाकर खड़ा करने की कोशिश की गयी है।