30 जनवरी 1948 को जब महात्मा गाँधी की हत्या की गई थी तब या उसके बाद के भी कई दशकों में शायद ही किसी ने कल्पना की होगी कि कभी विनायक दामोदर सावरकर की तुलना उस महात्मा गांधी से कर दी जाएगी जिनके बारे में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था- 'भविष्य की पीढ़ियों को इस बात पर विश्वास करने में मुश्किल होगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई व्यक्ति भी कभी धरती पर आया था।'