कपड़ों पर जीएसटी बढ़ाए जाने के प्रस्ताव के पुरजोर विरोध के बीच केंद्र सरकार इस मामले में पीछे हट गई है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स काउंसिल की शुक्रवार को हुई 46वीं बैठक में फैसला लिया गया है कि कपड़ों पर जीएसटी 5 फीसद से बढ़ाकर 12 फीसद नहीं किया जाएगा। इसे लेकर कई राज्यों में व्यापारी संगठन सड़क पर उतरे थे और गुजरात, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, राजस्थान और तमिलनाडु की सरकारों ने भी इसका विरोध किया था।  

राज्यों ने कहा था कि वे कपड़ों पर जीएसटी की दर बढ़ाए जाने के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध करते हैं।

पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से कहा था कि ऐसा करने से कपड़ा कारोबार की एक लाख इकाइयां बंद हो जाएंगी और 15 लाख नौकरियां चली जाएंगी।
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औद्योगिक संगठनों ने भी इसका विरोध किया था और कहा था कि इससे कपड़े महंगे हो जाएंगे। इंदौर में इसे लेकर एक अनोखा प्रदर्शन हुआ था। यहां कारोबारियों ने शो रूम की लाइट बुझा कर नारेबाजी की थी और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुआ था।

व्यापारियों का कहना था कि कि अगर कपड़े पर जीएसटी 12 फीसद हुई तो महंगाई चरम पर पहुंच जाएगी और हिंदुस्तान के हर एक इंसान पर इसका असर पड़ेगा। 
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व्यापारियों का कहना था कि कोरोना संक्रमण के बाद लगे लॉकडाउन की वजह से उनका कारोबार वैसे ही बहुत मंदा हो चुका है। जीएसटी बढ़ाए जाने के बाद उनकी कमर ही टूट जाएगी। उन्होंने केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी थी।

जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सहित कई राज्यों के वित्त मंत्रियों और वरिष्ठ अफसरों ने भाग लिया।