भारत में सभी समुदायों के लिए एक समान नागरिक कानून इस स्तर पर न तो ज़रूरी है और न ही वांछनीय। यह निष्कर्ष विधि आयोग ने 2018 में निकाला था। उसने यही परामर्श दिया था और इस सुझाव को खारिज कर दिया था कि यह देश में एक समान नागरिक संहिता का समय है।
विधि आयोग ने 2018 में यूसीसी को 'खारिज' क्यों कर दिया था?
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- 4 Jul, 2023
प्रधानमंत्री मोदी ने समान नागरिक संहिता की वकालत की। विधि आयोग ने भी इस पर प्रतिक्रिया मांगी है। इसको लागू किए जाने की संभावना के बीच जानिए, इसी विधि आयोग ने 2018 में क्या कहा था।

2018 वाले उस विधि आयोग की सिफ़ारिश से अलग इस बार माहौल बदला हुआ है। दरअसल, कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व चीफ़ जस्टिस रितु राय अवस्थी के नेतृत्व वाले विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता के लिए दोबारा से राय मांगी है। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद मध्य प्रदेश में यूसीसी की जोरदार वकालत की है। बीजेपी नेता और समर्थक पूरे जोश से इसकी पैरवी कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस मानसून सत्र में इससे जुड़ा विधेयक पेश किया जाएगा। लेकिन क्या यह इतना आसान है? यदि ऐसा है तो बीजेपी नेता और कानून व न्याय पर संसदीय समिति के अध्यक्ष सुशील मोदी ने क्यों सुझाव दिया है कि आदिवारियों को यूसीसी से बाहर रखा जाना चाहिए? आख़िर ऐसी क्या-क्या दिक्कतें आने वाली हैं?