देश की आज़ादी के बाद से आज तक तमाम सरकारों पर यह आरोप लगता रहा है कि वे अपने राजनीतिक विरोधियों पर दबाव बनाने के लिए जांच एजेंसियों का ग़लत इस्तेमाल करती हैं। विपक्ष में रहे दलों ने यह आरोप सत्तारुढ़ दलों पर पहले भी लगाये हैं और आज जो दल विपक्ष में हैं, वे भी  सत्तापक्ष पर ऐसे आरोप लगाते हैं। यहां तक तो ठीक है लेकिन पिछले कुछ सालों में ऐसे मामले सामने आए जिनमें आरोप लगा कि सरकार के साथ ‘एडजस्ट’ न होने के कारण सरकारी अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की गई या उन्हें परेशान किया गया। विपक्षी दल यह आरोप भी लगाते हैं कि मोदी सरकार न्यायपालिका, निर्वाचन आयोग और सीबीआई जैसे संस्थानों की स्वायत्तता को कमज़ोर करने की कोशिश कर रही है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) के कामकाज में केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की बात भी सामने आई थी। पिछले कुछ सालों में ऐसे कौन से बड़े मामले हुए, आज इस बारे में बात करते हैं।