पहलगाम हमले के बाद मसूरी और अलीगढ़ में समुदाय विशेष से नफरत वाली घटनाएं हुई हैं। ऐसी घटनाएं घटने के बजाय बढ़ रही हैं। सांप्रदायिक असहिष्णुता भारत के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है।
उत्तराखंड के मसूरी और उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में दो अलग-अलग घटनाओं ने देश में बढ़ती सांप्रदायिक असहिष्णुता और हिंसा की चिन्ताजनक स्थिति को पेश किया है। मसूरी में दो कश्मीरी शॉल विक्रेताओं पर कुछ स्थानीय लोगों ने कथित तौर पर हमला किया गया, जिसके बाद 16 विक्रेता डर और असुरक्षा के कारण अपने घर कश्मीर लौट गए। वहीं, अलीगढ़ में एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़के पर हमला किया गया और उसे कथित तौर पर पाकिस्तानी झंडे पर पेशाब करने के लिए मजबूर किया गया। दोनों घटनाएँ सामाजिक एकता और मानवीय मूल्यों पर गंभीर सवाल उठाती हैं। मसूरी की घटना के मामले में पुलिस ने कुछ उपद्रवियों को गिरफ्तार करने का दावा किया है।
उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल मसूरी में दो कश्मीरी शॉल विक्रेताओं पर कुछ स्थानीय लोगों ने बेरहमी से हमला किया। पीड़ितों का आरोप है कि हमलावरों ने उनसे गाली-गलौज की। उनकी धार्मिक पहचान को निशाना बनाया और मारपीट की गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद देहरादून पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।मसूरी में कश्मीरी विक्रेताओं पर हमला
हालांकि, इस घटना ने मसूरी में मौजूद अन्य कश्मीरी विक्रेताओं के मन में डर पैदा कर दिया। एक पीड़ित विक्रेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हम यहाँ सालों से शॉल बेच रहे हैं। हमारा काम ईमानदारी से जीविका कमाना है, लेकिन इस बार हमें अपमानित किया गया। कोई हमारे लिए नहीं खड़ा हुआ।" इस घटना के बाद, 16 कश्मीरी शॉल विक्रेता, जो मसूरी में मौसमी व्यापार करते थे, अपने परिवारों के साथ कश्मीर वापस लौट गए।
स्थानीय व्यापारियों और निवासियों का कहना है कि यह घटना मसूरी जैसे शांत और पर्यटक-केंद्रित शहर के लिए शर्मनाक है। कुछ लोगों ने इसकी निंदा की, लेकिन कई विक्रेताओं का कहना है कि उन्हें अब यहाँ सुरक्षित महसूस नहीं होता। सामाजिक कार्यकर्ता और स्थानीय निवासी रमेश सिंह ने कहा, "यह सिर्फ दो लोगों पर हमला नहीं है, बल्कि हमारी सामाजिक एकता पर हमला है। हमें सभी समुदायों के साथ सम्मान और भाईचारे से रहना चाहिए।"
देहरादून पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी है और अतिरिक्त सुरक्षा उपायों की घोषणा की है। पुलिस अधीक्षक ने कहा, "हम इस मामले को गंभीरता से ले रहे हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, और हम सुनिश्चित करेंगे कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।" पुलिस ने कुछ लोगों को इस मामले में गिरफ्तार भी किया है।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक और दिल दहलाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक 15 वर्षीय लड़के पर कुछ लोगों ने हमला किया और उसे कथित तौर पर पाकिस्तानी झंडे पर पेशाब करने के लिए मजबूर किया। पुलिस के अनुसार, यह घटना सांप्रदायिक नफरत से प्रेरित थी, और हमलावरों ने लड़के की धार्मिक पहचान को निशाना बनाया।अलीगढ़ में नाबालिग पर क्रूर हमला
पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया है और जाँच शुरू कर दी है। पीड़ित लड़के के परिवार ने बताया कि वह इस घटना से गहरे सदमे में है और बच्चे को मनोवैज्ञानिक सहायता की जरूरत है। परिवार ने यह भी आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस ने शुरू में मामले को गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन जब मामला मीडिया में उजागर हुआ, तब कार्रवाई शुरू हुई।
अलीगढ़ के पुलिस अधीक्षक ने एक बयान में कहा, "हम इस मामले की गहन जाँच कर रहे हैं। यह एक गंभीर अपराध है, और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। हम यह भी सुनिश्चित करेंगे कि पीड़ित को न्याय मिले।" सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इसे नफरत और हिंसा का परिणाम बताया है।
इन दोनों घटनाओं ने देश में बढ़ती सांप्रदायिक असहिष्णुता और अल्पसंख्यक समुदायों के प्रति हिंसा के मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है। मसूरी की घटना में कश्मीरी विक्रेताओं का कहना है कि उन्हें न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक रूप से भी अपमानित किया गया। वहीं, अलीगढ़ की घटना एक नाबालिग के साथ क्रूरता का उदाहरण है, जो समाज में बढ़ती नफरत की मानसिकता को दर्शाती है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा, "ये घटनाएँ समाज में गहरे जड़ जमाए नफरत के बीज को दिखाती हैं। हमें शिक्षा, जागरूकता और सख्त कानूनी कार्रवाई के माध्यम से इस प्रवृत्ति को रोकना होगा।" उन्होंने सरकार से माँग की कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ और पीड़ितों को फौरन इंसाफ दिया जाए।