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ट्विन टावर तो ढहा दिये, 80 हज़ार टन मलबा कैसे निपटेगा?

नोएडा में कल तक जहाँ सुपरटेक ट्विन टावर थे वहाँ अब मलबे का पहाड़ है। मलबा भी इतना ज़्यादा कि निपटान करना ही एक बड़ी समस्या हो। 80 हज़ार टन। जिन टावरों को बनने में क़रीब नौ साल लगे थे और जो सिर्फ़ नौ सेकंड में ध्वस्त हो गए, उसके मलबे को हटाना इतना आसान नहीं लग रहा है। मलबे को ठिकाने लगाने में विशेषज्ञ ही इसके लिए क़रीब 90 दिन की मोहलत मांग रहे हैं। 

मलबा हटाने का काम रामकी ग्रुप को सौंप दिया गया है। तीन महीने का समय काम पूरा करने के लिए दिया गया है। हालाँकि इस दौरान कई और अहम काम किए जाने हैं। मलबे के निपटान के अलावा एक्सेलेरोमीटर, ब्लैक बॉक्स और विध्वंस स्थल के आसपास रखे गए अन्य पैमानों से डेटा का विश्लेषण करना बाक़ी है।

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विध्वंस स्थल पर विध्वंस का काम करने वाली कंपनी एडिफिस इंजीनियरिंग और केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान यानी सीबीआरआई द्वारा 20 निगरानी प्रणाली लगाई गई थी। इन प्रणालियाों से डेटा जुटाया गया है। उस डेटा के विश्लेषण में भी क़रीब 1-2 हफ्ते का समय लगेगा।

हालाँकि, मलबे को हटाने में काफ़ी ज़्यादा समय लगेगा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एडिफिस इंजीनियरिंग के पार्टनर उत्कर्ष मेहता ने कहा, 'हमें मलबा साफ़ करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है। हम कई प्राधिकरणों और रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन यानी आरडब्ल्यूए के साथ काम कर रहे हैं। हमने आरडब्ल्यूए से बात की क्योंकि वे लंबे समय से पीड़ित हैं और उनके साथ समन्वय करेंगे।'

मलबे की वजह से आसपास के लोगों के लिए बड़ी मुसीबतें भी खड़ी हो गई हैं। वे अब इसकी शिकायतें कर रहे हैं। एक तो, मलबे से कुछ रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं। मलबे को हटाने के काम में जुटे होने से अब यातायात भी प्रभावित होगा। तेज हवा चलने पर धूल उड़ने की भी समस्या है।
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मेहता ने कहा है, 'रामकी समूह मलबा प्रबंधन योजना को संभाल रहा है। शुरू में वे मलबे की मात्रा को देखकर आशंकित थे लेकिन अब मान गए हैं। कुल मिलाकर, मलबा 80,000 टन है। कुल में से लगभग 50,000 टन का उपयोग बेसमेंट और अन्य पुनर्निर्माण के लिए किया जाएगा… बहुत सारा स्टील, कंक्रीट और अन्य सामग्री है जिसका हम पुन: उपयोग करेंगे।' 

एडिफिस इंजीनियरिंग ने नोएडा प्राधिकरण के समक्ष एक मलबे प्रबंधन योजना पेश की थी। इसके अनुसार विध्वंस के परिणामस्वरूप 36,000 क्यूबिक मीटर मलबा उत्पन्न होगा। उसमें कहा गया कि 36,000 क्यूबिक मीटर में से, 23133 क्यूबिक मीटर दो टावरों के बेसमेंट में सम जाएगा जबकि शेष 12,867 बिल्डिंग परिसर में आसपास के क्षेत्र में समायोजित किया जाएगा।

बता दें कि नोएडा प्राधिकरण की ओर से शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा गया था कि लगभग 28,000 मीट्रिक टन मलबे को सेक्टर 80 स्थित प्रसंस्करण संयंत्र में भेजा जाएगा जहां इसे वैज्ञानिक रूप से संसाधित किया जाएगा।

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नोएडा के सुपरटेक ट्विन टावर को रविवार दोपहर ठीक 2.30 बजे ध्वस्त कर दिया गया। क़रीब नौ साल में बनाए गए इन दोनों टावरों को मिट्टी में मिलने में कुछ सेकंड भर लगे। 

32 मंजिल और 29 मंजिल के दोनों टावरों को गिराने के लिए 3700 किलो विस्फोटक लगाए गए थे। इन विस्फोटकों को टावरों में 2600 से ज़्यादा छेद करके भरा गया।

इसको ध्वस्त किए जाने को लेकर इसलिए चिंताएँ थीं क्योंकि इन टावरों के आसपास कई कॉम्पलेक्स हैं, 60 फीट वाली मुख्य सड़क है, पार्क है और पेड़ पौधे भी हैं। इन टावरों के सबसे क़रीब सिर्फ़ 9 मीटर की दूरी पर ही दूसरा कॉम्पलेक्स है। इतनी भीड़भाड़ वाली जगह पर इन गगनचुंबी टावरों को ध्वस्त करना एक बड़ी चुनौती से कम नहीं था। इन्हीं सब चिंताओं के मद्देनज़र सुरक्षा को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारी की गई।

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क़मर वहीद नक़वी
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