संघ की अबतक कि सोच, कार्यपद्धति, और दिशा क्या रही है यह किसी छुपा नहीं है। ऐसे में संघ प्रमुख द्वारा गांधी, टैगोर, विवेकानंद औऱ दयानंद सरस्वति को अपनी विचारधारा और सोच में शामिल करना आगे आने वाले समय में संघ की तरफ से बड़ी वैचारिक लड़ाई की तरफ इशारा कर रहा है, जिसमें दूसरे कई मनीषियों को अपने पाले लाने का वैचारिक खेल खेला जाएगा। टैगोर और गांधी किसी भी सूरत में संघ के पाले में खड़े नजर नहीं आते हैं लेकिन अगर संघ ऐसा कर ले जाता है तो फिर कांग्रेस के पास नेहरू के अलावा शायद ही कोई बचे जो संघ को चुनौती दे पाए। हाल ही में पांचजन्य औऱ ऑर्गनाइजर को दिए साक्षात्कार में मोहन भागवत ने गांधी, टैगोर, विवेकानंद औऱ दयानंद सरस्वति के डिस्कोर्स को लेकर आगे बढ़ने की बात कही।  

कांग्रेस से इतर दूसरे महान लोगों को अपने पाले में लाने का प्रयास संघ काफी समय से कर रहा है। हालिया प्रयास आंबेडकर को लेकर चल रहे हैं। संघ प्रमुख द्वारा गांधी और टैगोर का नाम लेना वैचारिक लड़ाई के और तेज होने के संकेत देता है।