राजद्रोह या देशद्रोह कानून (धारा 124 ए) को पूरी तरह खत्म करने के लिए देश को अभी लंबी यात्रा तय करनी है। सरकार के खिलाफ नाराजगी या आलोचना से निपटने के लिए इस कानून का नाजायज इस्तेमाल जमकर किया गया है।


राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के मुताबिक 2016 और 2019 के बीच, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 124-ए (देशद्रोह) के तहत दर्ज मामलों की संख्या में 160% की बढ़ोतरी हुई, जबकि सजा की दर 2019 में घटकर 3.3% हो गई, जो 2016 में 33.3% थी।




2019 में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए 96 संदिग्धों में से केवल दो पुरुषों को दोषी ठहराया गया है। 2019 में राजद्रोह के आरोपों के तहत सबसे अधिक गिरफ्तारियां 18 से 30 आयु वर्ग में 55 वर्ष की थीं, जिनमें एक महिला भी शामिल थी।