सुप्रीम कोर्ट ने जिस अनुसूचित जाति एवं जनजाति को उपवर्ग में बाँटने की संभावना को लेकर इस हफ़्ते फ़ैसला दिया है, उस मसले पर अधिकतर राज्यों की सहमति नहीं रही है। उपवर्ग में बाँटने में दलितों का उपवर्गीकरण भी शामिल है और केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को कम से कम 17 राज्य नकार चुके हैं। 'टीओआई' की रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ़ पाँच राज्यों का ही इस पर सकारात्मक रूख रहा है।
दलितों को उपजातियों में बाँटना क्या आसान होगा जब अधिकतर राज्य पक्ष में नहीं हैं?
- देश
- |
- |
- 30 Aug, 2020

सुप्रीम कोर्ट ने जिस अनुसूचित जाति एवं जनजाति को उपवर्ग में बाँटने की संभावना को लेकर इस हफ़्ते फ़ैसला दिया है, उस मसले पर अधिकतर राज्यों की सहमति नहीं रही है।
बीजेपी सरकार चाहती है कि पिछड़े वर्ग और अनुसूचित जाति एवं जनजाति को विभिन्न उपजातियों में विभाजित कर दिया जाए और आरक्षण के कोटे में उपकोटे की व्यवस्था की जाए। हालाँकि 2011 से ही जब यूपीए सत्ता में थी, केंद्र सरकार यह प्रयास कर रही है कि क्या राज्य इस मामले में विचार करने को तैयार हैं।