सुप्रीम कोर्ट ने एक अभूतपूर्व और सनसनीखेज क़दम उठाते हुए केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ से लुटियंस दिल्ली के आलीशान बंगले को तुरंत खाली कराने की मांग की है। यह पहली बार है जब देश का सर्वोच्च न्यायालय अपने ही पूर्व प्रमुख को आधिकारिक आवास छोड़ने के लिए इस तरह का औपचारिक निर्देश दे रहा है। 

पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ लुटियंस दिल्ली में मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक आवास कृष्णा मेनन मार्ग के बंगला नंबर 5 में रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पत्र में कहा है कि पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने निर्धारित अवधि से अधिक समय तक इस बंगले पर कब्जा रखा है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार यह पत्र 1 जुलाई 2025 को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को भेजा गया, जिसमें बंगले को कोर्ट के आवास पूल में वापस करने का अनुरोध किया गया।

क्या नियमों का उल्लंघन है?

सुप्रीम कोर्ट जज (संशोधन) नियम, 2022 के नियम 3बी के तहत एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश को सेवानिवृत्ति के बाद अधिकतम छह महीने तक टाइप VII बंगले में रहने की अनुमति है। डी.वाई. चंद्रचूड़ नवंबर 2022 से नवंबर 2024 तक भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश रहे। उन्होंने अपने कार्यकाल ख़त्म होने के लगभग आठ महीने बाद भी मुख्य न्यायाधीश के आधिकारिक बंगले में रहना जारी रखा है।

मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि चंद्रचूड़ के उत्तराधिकारी, छह महीने तक पद पर रहे पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना और वर्तमान सीजेआई भूषण आर. गवई दोनों ने इस आधिकारिक आवास में स्थानांतरित होने का विकल्प नहीं चुना और अपने पहले से आवंटित बंगलों में रहना पसंद किया। इस स्थिति की वजह से चंद्रचूड़ को बंगले में रहने की छूट मिली, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने इसे नियमों का उल्लंघन माना है।

चंद्रचूड़ की ओर से अनुरोध

18 दिसंबर 2024 को अपनी सेवानिवृत्ति के एक महीने बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने तत्कालीन सीजेआई संजीव खन्ना को पत्र लिखकर 30 अप्रैल 2025 तक कृष्णा मेनन मार्ग के बंगले में रहने की अनुमति मांगी थी। उन्होंने बताया कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट जज (संशोधन) नियम, 2022 के तहत तुगलक रोड पर बंगला नंबर 14 आवंटित किया गया था, लेकिन वहां चल रहे नवीकरण कार्यों में देरी हो रही थी। चंद्रचूड़ ने यह भी प्रस्ताव दिया कि वे तुगलक रोड का बंगला छोड़ सकते हैं ताकि इसे किसी अन्य जज को आवंटित किया जा सके।

तत्कालीन सीजेआई खन्ना ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया था और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने 13 फरवरी 2025 के पत्र के माध्यम से चंद्रचूड़ को 11 दिसंबर 2024 से 30 अप्रैल 2025 तक लगभग 5,430 रुपये प्रति माह की लाइसेंस फीस पर बंगले में रहने की मंजूरी दी थी।

बाद में चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से 31 मई 2025 तक रहने की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया, जिसे सीजेआई खन्ना ने इस शर्त के साथ मंजूर किया कि कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा, क्योंकि कई नए जजों को दिल्ली में गेस्ट हाउस या वैकल्पिक आवासों में रहना पड़ रहा है।

क्या वजह बताई?

पूर्व सीजेआई चंद्रचूड़ ने अपनी देरी का कारण व्यक्तिगत परिस्थितियों को बताया, खासकर अपनी दो विशेष आवश्यकता वाली बेटियों की ज़रूरतों को। उन्होंने कहा कि दो साल से बंद तुगलक रोड का बंगला व्हीलचेयर के लिए उपयुक्त नहीं था और इसे रहने योग्य बनाने के लिए नवीकरण कार्य चल रहा था। उनकी बेटियों को नेमालाइन मायोपैथी जैसी गंभीर बीमारियों के लिए एम्स में इलाज चल रहा है। चंद्रचूड़ ने कहा, 'मेरी सारी सामग्री पैक हो चुकी है। यह कुछ ही दिनों की बात है। मैं इसमें रुचि नहीं रखता, लेकिन मेरे पास कोई विकल्प नहीं है।'

सुप्रीम कोर्ट का पत्र 

रिपोर्टों के अनुसार 1 जुलाई 2025 को लिखे गए पत्र में सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने साफ़ किया कि चंद्रचूड़ को 31 मई 2025 तक दी गई विशेष अनुमति ख़त्म हो चुकी है और नियम 3बी के तहत छह महीने की अवधि 10 मई 2025 को समाप्त हो गई थी। पत्र में आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सचिव से अनुरोध किया गया कि बंगला नंबर 5 को पूर्व सीजेआई से तुरंत कब्जे में लिया जाए और सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया जाए।

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि यह बंगला विशेष परिस्थितियों में चंद्रचूड़ को दिया गया था, लेकिन यह अपेक्षा थी कि मई के अंत तक इसे खाली कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस उल्लंघन को गंभीरता से लिया, क्योंकि वर्तमान में 33 जजों में से चार को आधिकारिक आवास नहीं मिला है और कुछ को गेस्ट हाउस या वैकल्पिक व्यवस्थाओं में रहना पड़ रहा है।

सुप्रीम कोर्ट का दुर्लभ क़दम?

सूत्रों के अनुसार कई पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद कुछ महीनों के लिए आधिकारिक आवास में रहने की अनौपचारिक अनुमति दी गई है, ताकि वे अपने लिए उपयुक्त आवास की व्यवस्था कर सकें। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को इस तरह का औपचारिक पत्र लिखकर एक पूर्व सीजेआई से बंगला खाली कराने की मांग करना एक असामान्य और अभूतपूर्व कदम है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ़ करते हुए कहा कि वे अपनी जिम्मेदारियों से पूरी तरह वाकिफ हैं और जल्द ही बंगला खाली कर देंगे। उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया, 'मैंने पहले ही सुप्रीम कोर्ट को सूचित कर दिया है कि मुझे सरकार द्वारा किराए पर एक वैकल्पिक आवास आवंटित किया गया है, जो दो साल से बंद था और अभी नवीकरण के दौर से गुजर रहा है। यह कुछ ही दिनों की बात है, और मैं स्थानांतरित हो जाऊंगा।' उन्होंने यह भी जोड़ा कि उनकी बेटियों की विशेष ज़रूरतों के कारण उपयुक्त आवास में जाना चुनौतीपूर्ण रहा है।