Rahul Gandhi another Ambedkar: कांग्रेस के दलित नेता उदित राज ने दलित और ओबीसी मुद्दों पर राहुल गांधी के रुख को लेकर उन्हें "दूसरा आम्बेडकर" कहा। बीजेपी नेताओं ने इस टिप्पणी की आलोचना करते हुए इसका मजाक उड़ाया। जानिए पूरी बात:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद डॉ. उदितराज ने नेता विपक्ष राहुल गांधी की जमकर तारीफ करते हुए उन्हें "दूसरे आम्बेडकर" की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जिस तरह से दलितों, ओबीसी, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की बात कर रहे हैं, वह उन्हें बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर के रास्ते पर ले जाता है।
डॉ उदित राज ने कहा- "ओबीसी को सोचना पड़ेगा इतिहास बार बार प्रगति के लिए मौका नहीं देता । ताल कटोरा स्टेडियम के सम्मेलन में जो बात राहुल गांधी ने कही उस पर चल पड़ें और साथ दें । अगर ऐसा करते हैं तो इनके लिए राहुल गांधी दूसरा आम्बेडकर साबित होंगे।"
हालांकि डॉ उदित राज ने पहली बार आम्बेडकर को राहुल गांधी से जोड़ा है। लेकिन वो पहले भी तमाम टीवी चैनलों पर कहते रहे हैं कि राहुल गांधी की संविधान की रक्षा, जाति जनगणना, ओबीसी के अधिकारों की पुनः पुनर्स्थापना की बातें दलित समाज को बहुत प्रभावित कर रही हैं।
राहुल गांधी का संविधान प्रेम
राहुल गांधी ने हाल ही में दिल्ली में एक बड़ी रैली में संविधान की प्रति हाथ में लेकर बार-बार उसे "बचाने" की अपील की थी। उनका कहना था कि बीजेपी और आरएसएस संविधान को कमजोर करने में जुटे हैं, और अगर विपक्ष नहीं लड़ा, तो बहुजन समाज फिर से हाशिए पर पहुंच जाएगा।
राहुल गांधी की यह शैली- सीधे आम लोगों और बहुजन समाज से जुड़ना, और उनके मुद्दों को राष्ट्रीय मंच पर उठाना — कई दलित नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को आकर्षित कर रही है। इस संबंध में कई दलित विश्लेषकों ने अपने विचार विभिन्न मंचों पर रखे हैं। कई शहरों में न्याय का अधिकार सम्मेलनों में राहुल को बुलाया गया तो दलित युवकों की उसमें बढ़चढ़कर शिरकत रही है।
बीजेपी को उदित राज का बयान पसंद नहीं आया
हालांकि डॉ. उदितराज के इस बयान से बीजेपी में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली। पार्टी के कई नेताओं ने राहुल गांधी की तुलना आम्बेडकर से किए जाने को "अवांछित और हास्यास्पद" बताया। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा- "जिस व्यक्ति ने खुद कभी जातिगत नीतियों के पक्ष में ठोस कदम नहीं उठाया, उसे 'दूसरा आम्बेडकर' कहना दलित समाज का अपमान है। कांग्रेस को ऐसे प्रतीकों से खेलना बंद करना चाहिए।"
कुछ बीजेपी नेताओं ने सोशल मीडिया पर मीम और तंज के ज़रिए कांग्रेस और उदितराज को निशाना भी बनाया।
क्या बदल रही दलित राजनीति
विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस अब बहुजन और पिछड़े वर्गों की राजनीति को एक नया स्वरूप देने की कोशिश कर रही है। राहुल गांधी खुद को उनके नेता के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। जाति जनगणना, संविधान सुरक्षा, आरक्षण की बहाली और स्कॉलरशिप जैसे मुद्दों को बार-बार उठाकर वे बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग को चुनौती दे रहे हैं। डॉ. उदितराज का बयान न केवल कांग्रेस के भीतर एक नई सामाजिक धारा को मजबूत करता है, बल्कि बीजेपी को भी यह संकेत देता है कि दलित वोटबैंक अब पूरी तरह से एकतरफा नहीं रहा।
राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने भी शुक्रवार को सत्य हिन्दी पर प्रकाशित एक लेख में इस बात का जिक्र किया है कि राहुल गांधी बीजेपी के हिन्दुत्व के समानान्तर विचारधारा की नई इमारत खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं। आशुतोष के शब्द हैं- कांग्रेस पार्टी को एक नये पुनर्जन्म की तलाश है। वो समझ गई है कि पुराने ढर्रे और पुराने छर्रों से पार्टी अपने पुराने वैभव को नहीं पा सकती है। उसे कुछ नया करना पड़ेगा । कुछ नया बुनना पडेगा । राजनीति के नये धागे और नये लिबास बनाने पड़ेंगे। और इस बात को कांग्रेस में सबसे ज्यादा राहुल गांधी समझते हैं । ये अलग बात है कि आज के वातावरण में राहुल की चर्चा फैशनेबल नहीं है । हकीकत ये है कि राहुल कांग्रेस का डीएनए बदल रहे हैं और बीजेपी के हिंदुत्व के समानांतर विचारधारा की नई इमारत खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं । 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी इस कोशिश की एक झलक भी दिखी और परिणाम भी।
आशुतोष का यह पूरा लेख आप इस लिंक को क्लिक करके पढ़ सकते हैं।बहरहाल, "दूसरा आम्बेडकर" कहे जाने के बाद राहुल गांधी को लेकर बहस और तेज हो सकती है। यह बयान जहां बहुजन समाज में कांग्रेस की स्वीकार्यता बढ़ा सकता है, वहीं बीजेपी इसे ‘सस्ती लोकप्रियता’ की राजनीति कहकर खारिज करने में जुटी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बयान वोटबैंक की राजनीति में क्या बदलाव लाता है।