एआईएमआईएम (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर राममंदिर के विरुद्ध स्वर मुखर करने का असफल प्रयत्न किया है। ओवैसी परतंत्र भारत में बनी उस राजनीतिक पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष हैं जो धर्म की एकांकी छद्म राजनीति पर टिकी है, जिसमें भारतीयता अथवा संपूर्ण भारतीय समाज के लिए कोई स्थान नहीं है, जो भारतीय संविधान की मूल भावना ‘हम भारत के लोग’ के स्थान पर अलिखित समूह बोध ‘हम भारत के मुसलमान’ की संकीर्ण मानसिकता से ग्रस्त है और स्वयं को सभी भारतीय मुसलिम नागरिकों की स्वयंभू प्रतिनिधि समझती है। वस्तुतः यह मुसलिम लीग की पाकिस्तान बनवा लेने वाली अलगाववादी-विभाजनकारी मानसिकता की विषवल्लरी है जो स्वतंत्र भारत में तुष्टीकरण का खाद-पानी प्राप्त कर भारतीय समाज को विघटित और विषाक्त करने के लिए पुनः सक्रिय है। इस दल के नेताओं के उत्तेजक बयान इसी ओर संकेत करते हैं।
राममंदिर पर ओवैसी के विरोध का सच!
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- 3 Aug, 2020

भारतवर्ष में अमीर खुसरो और जायसी से लेकर नज़ीर अकबराबादी एवं अकबर इलाहाबादी तक, हुमायूँ और दाराशिकोह से लेकर आज की राजनीति में सक्रिय अनेक मुसलिम नेताओं तक ऐसे मुसलिम बंधुओं की कोई कमी नहीं है जो भारतीय समाज में रच बस कर जीना जानते हैं; जीना चाहते हैं किंतु देश के दुर्भाग्य से मध्यकाल से लेकर आज तक इस देश की राजनीति में हिंदुओं ने उदारवादी मुसलिमों के स्थान पर कट्टर कठमुल्लाओं को ही सिर पर बैठाया।