मोहन भागवत से लेकर इंद्रेश कुमार तक चुनाव नतीजों को अहंकार से क्यों जोड़ रहे हैं? क्या संघ बीजेपी के ख़िलाफ़ हो गया है या फिर संघ की कुछ और ही ‘चाल’ है?
यूपी में जल्द ही 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल और विपक्षी इंडिया गठबंधन का मुकाबला फिर से होगा। इंडिया गठबंधन इन सीटों पर जीत हासिल कर बढ़त बनाए रखना चाहेगा, जबकि भाजपा के सामने फिर से इज्जत बचाने का सवाल होगा। इनमें से कई सीटों पर सपा और भाजपा के विधायक थे। यूपी की राजनीति अभी दिलचस्प बनी रहेगी। जानिएः
Satya Hindi news Bulletin | RSS के बाद अब VHP भी BJP सरकार से खफा! कहा- हिंदुत्व का उत्तराधिकारी कहा जाए या नहीं? | RSS नेता इंद्रेश कुमार के बयान पर बोले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी?
लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भाजपा के सामने बड़ी चुनौती है। केंद्र में गठबंधन सरकार की मजबूरी झेल रही बीजेपी क्या हरियाणा में सत्ता में वापस आ पाएगी? क्या कांग्रेस राज्य में हालात को अपने पक्ष में कर पाएगी?
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और संघ के मुखपत्र ऑर्गनाइजर के बाद अब एक और बड़े आरएसएस नेता ने बीजेपी पर हमला क्यों किया? जानिए, इंद्रेश कुमार ने चुनाव नतीजों पर क्या कहा।
लोकसभा चुनाव ख़त्म होते ही विधानसभा उपचुनावों के लिए गहमागहमी शुरू हो गई है। जानिए, किन-किन राज्यों में उपचुनाव हैं और बीजेपी ने किन नामों की सूची जारी की।
मोदी मंत्रिमंडल का गठन । लेकिन आरएसएस नाराज । संघ प्रमुख का हमला, सेवक कभी अहंकारी नहीं होता । जो अहंकारी है वो सेवक नहीं होता । ऐसे में कैसे चलेगी मोदी सरकार ? कैसे पूरे होंगे पाँच साल ? आशुतोष के साथ विनोद अग्निहोत्री, विजय त्रिवेदी, कार्तिकेय बत्रा, अफ़रीदा रहमान और यशोवर्धन आजाद
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा नुक़सान क्यों उठाना पड़ा? क्या उसको अपने ऊपर अति आत्मविश्वास हो गया था? जानिए आरएसएस ने चुनाव नतीजों और बीजेपी के प्रदर्शन पर क्या कहा।
अयोध्या में बीजेपी के उम्मीदवार लल्लू सिंह की हार ने हिंदुत्ववादियों को हिला कर रख दिया है, लेकिन क्या यह अयोध्यावासियों के लिए भी ऐसा ही है? जानिए, फैजाबाद लोकसभा सीट पर चुनाव नतीजे के मायने क्या।
बिहार में बीजेपी-जेडीयू वाला एनडीए गठबंधन भले ही 40 में से 30 सीटें जीत गया हो, लेकिन इसके वोट शेयर में बड़ी गिरावट आई है। जानिए, आरजेडी को कितना फायदा हुआ।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस, टीएमसी आदि छोड़कर भाजपा में गए दाग़दार नेताओं को मतदाताओं ने भी उनके लोकसभा क्षेत्रों में ठुकरा दिया। ये ऐसे नेता थे, जिनके खिलाफ किसी न किसी मामले में केंद्रीय एजेंसियां सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स, एनआईए जांच कर रही थीं। ऐसे लोगों के लिए ही शायद यह मुहावरा गढ़ा गया था- न खुदा ही मिला न विसाले सनम। जानिए ऐसे चेहरों कोः