नागरिकता क़ानून का खौफ़ कम क्यों नहीं हो रहा है? शाहीन बाग़ में नागरिकता क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन पर सुप्रीम कोर्ट को मीडिएश पैनल गठित क्यों करना पड़ा? असम में एक महिला का मामला जो आया है कि 15 कागज़ात होने के बाद भी उन्हें एनआरसी में शामिल नहीं किया गया, क्या डराने वाली तसवीर नहीं है? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
सरकार के इस काले क़ानून और क्रूर क़दमों के ख़िलाफ़ जो लोग आज आवाज़ उठा रहे हैं, वे किसी एक समुदाय, जाति या बिरादरी की आवाज़ नहीं है, वह पूरे राष्ट्र और हर आम भारतीय नागरिक की आवाज़ है!
नागरिकता क़ानून पर विरोध-प्रदर्शन ने जो देशव्यापी रूप ले लिया है उसका क्या संकेत है? क्या लोगों का ग़ुस्से को सरकार झेल पाएगी? विपक्ष सक्रिय होता दिख रहा है, इसका क्या असर होगा? देखिए आशुतोष की बात।
सभी विपक्षी पार्टियाँ एकाएक सक्रिय क्यों हो गईं? क्या नागरिकता क़ानून का प्रदर्शन करने वाले लोगों का दमन नहीं किया जाता तो ये दल इतने मुखर होते? क्या अब विपक्ष की एकता होगी और ऐसा हुआ तो बीजेपी का क्या हाल होगा? देखिए शैलेश की रिपोर्ट।
राष्ट्रपति की मुहर लगते ही नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 अब क़ानून बन चुका हैI लेकिन ग़ैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारें विरोध कर रही हैं तो केंद्र सरकार इसे कैसे लागू करा पाएगी?