देश की आज़ादी के पहले भारत में हिंदू और मुसलमान दंगे हुए। 15 अगस्त 1947 की सुबह जब लोग सो कर उठे तो पूर्वी और पश्चिमी पंजाब में क़रीब 2,00,000 लोगों की हत्याएँ एक साल के भीतर हो चुकी थीं। लगातार हिंसा के बीच सरदार वल्लभभाई पटेल ने दिल्ली आए पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली से 16 अगस्त 1947 को कहा कि पंजाब अवार्ड का एकमात्र समाधान है कि बड़े पैमाने पर आबादी का हस्तांतरण किया जाए। इस प्रस्ताव का जेबी कृपलानी ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि आबादी के हस्तांतरण की कोई ज़रूरत नहीं है, इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हिंसा रोकने में कामयाब होगा और लियाकत अली ने भी कहा कि वह हिंदुओं और सिखों के अधिकार की रक्षा करेंगे। माउंटबेटन और जवाहरलाल नेहरू ने भी इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया।