खुद को चुनावी रणनीतिकार कहने वाले प्रशांत किशोर उर्फ पीके को जेडीयू ने बिजनेसमैन बताया है। पीके जेडीयू में फिर से घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं। जेडीयू चीफ ललन सिंह ने शनिवार 17 सितंबर को उन पर कड़ा हमला बोला है।
हाल ही बीजेपी से अलग हुए नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के उम्मीदवार होंगे या नहीं, इससे बड़ा यह सवाल है कि वह किस आधार पर 2024 में बीजेपी को सत्ता से बाहर करने का दावा कर रहे हैं?
सरकार बनते ही जिस तरह जेडीयू की महिला विधायक बीमा भारती ने अपनी ही पार्टी की नेता और कैबिनेट मंत्री के खिलाफ खुलकर मीडिया में बयानबाजी की है, उससे सरकार और जेडीयू की निश्चित रूप से किरकिरी हुई है।
टीएमसी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पवन वर्मा ने शुक्रवार को पार्टी छोड़ दी। टीएमसी को एक के बाद एक आघात लग रहे हैं। पवन जेडीयू से आए थे। धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के लिए प्रतिबद्ध पवन वर्मा जेडीयू से टीएमसी में थे। उन्होंने जेडीयू क्यों छोड़ी और अब टीएमसी को भी क्यों अलविदा कहा, इन सवालों को खोजती यह रिपोर्ट।
बिहार में बीजेपी और जेडीयू की खटास बढ़ती जा रही है। हद तो यह है कि गठबंधन के दोनों दल अब अपनी-अपनी सीटों पर तैयारी के दावे तक करने लगे हैं। अभी गृह मंत्री अमित शाह पटना आए तो उनसे जेडीयू के किसी महत्वपूर्ण नेता ने मुलाकात तक नहीं की, जबकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोरोना की वजह से किसी से नहीं मिल रहे हैं।
क्या नीतीश कुमार के दुलारे रहे आरसीपी सिंह के साथ सियासी खेला हो गया? आख़िर उन्हें अब राज्यसभा क्यों नहीं भेजा जा रहा है? क्या बीजेपी से उनकी क़रीबी है वजह?
आरसीपी सिंह ने भी पार्टी नेताओं के बीच किसी तरह का मतभेद होने की ख़बरों को खारिज कर दिया और कहा कि पार्टी में सिर्फ़ एक ही नेता हैं, उनका नाम नीतीश कुमार है।
नीतीश कुमार ने ललन सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का मन पहले ही बना लिया था। ललन सिंह के नाम का औपचारिक एलान भले 31 जुलाई को हुआ हो, लेकिन इसकी पटकथा तो सात जुलाई को ही लिखी गई।