निज़ाम बदलते ही फ़रमान बदलने लगे! क्या अब भीमा कोरेगाँव मामले में आरोपी बनाए गए सामाजिक कार्यकर्ताओं से केस हटाया जाएगा?
जो बात पंकजा मुंडे ने फ़ेसबुक पोस्ट में लिखी है, उसके बाद सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या वह बीजेपी छोड़कर शिवसेना का दामन थामने वाली हैं?
महाराष्ट्र में काफ़ी मशक्कत के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन की सरकार तो बन गई है, लेकिन क्या यह नयी सरकार अब आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों से निपट पाएगी?
महाराष्ट्र के पूरे राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए कहा जा सकता है कि बीजेपी की इस स्थिति के लिए कोई और नहीं वह स्वयं जिम्मेदार है।
संजय राउत ने मीडिया से कहा कि शनिवार को शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस, तीनों ही पार्टियों के नेता अपने विधायकों के पत्र राज्यपाल को सौंप देंगे।
भारतीय राजनीति में ग़ैर-कांग्रेसवाद का एक बड़ा दौर रहा है लेकिन अब क्या देश आने वाले समय में ग़ैर-भाजपावाद की राजनीति की ओर बढ़ने वाला है? क्या कांग्रेस विचारधारा से समझौता करेगी?
महाराष्ट्र में जब से शिवसेना ने अपने 30 साल के राजनीतिक साथी बीजेपी से अलग होकर नए विकल्पों की राह पकड़ी है, दोनों पार्टियों में ‘रार’ है कि थमने का नाम नहीं ले रही है।
शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के नेता शनिवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के सामने सरकार बनाने का दावा पेश कर सकते हैं।
महाराष्ट्र में राज्यपाल क्या निष्पक्ष भूमिका निभा रहे हैं? क्या सभी दलों के साथ वह समान ढंग से पेश आ रहे हैं? क्या आगे वह निष्पक्ष भूमिका निभाएँगे?
महाराष्ट्र में क्या अब विधायकों की ख़रीद-फ़रोख्त शुरू हो गयी है? कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि बीजेपी की तरफ़ से शिवसेना के एक-एक विधायक को 50-50 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया है।
महाराष्ट्र में पिछले दो सप्ताह से नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जबकि प्रदेश के मराठवाड़ा क्षेत्र में पिछले चार दिनों के दौरान 10 किसानों की आत्महत्या के मामले सामने आए हैं।
क्या देवेंद्र फडणवीस का मुक़ाबला अब सीधा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार से होने जा रहा है?
क्या महाराष्ट्र में सत्ता स्थापित करने का विकल्प तैयार हो रहा है? शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत की राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार के साथ हुई बैठक के बाद अब क्या होगा?
जिस तरह से बीजेपी-शिवसेना के नेताओं के बीच बयानबाज़ी जारी है, उससे अब यह अंदेशा लगने लगा है कि कहीं यह गठबंधन टूट तो नहीं जाएगा?
2014 में बीजेपी ने शोर-शराबे के बीच बहुमत सिद्ध करने की घोषणा करा ली थी। तो क्या शिवसेना इस बार बीजेपी की ऐसी ही किसी चाल से बचने की रणनीति तैयार कर रही है।
बीजेपी, शिवसेना विधायक दल का नेता तो चुन रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा, सरकार किसकी और कैसे बनेगी, यह सवाल अभी भी कायम है।
बीजेपी-शिवसेना में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चल रहे घमासान को क्या बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ख़त्म कर पायेंगे।
शिवसेना ने मंगलवार शाम को दोनों पक्षों के दो-दो नेताओं के बीच होने वाली बैठक को इसी बयान के आधार पर रद्द कर दिया।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बीजेपी-शिवसेना आमने-सामने आ गए हैं और दोनों ही दलों में से कोई भी झुकने के लिए तैयार नहीं है।
किसी भी राज्य में चुनाव के दौरान स्थानीय समस्याओं और मुद्दे से दूर हटाकर चुनाव प्रचार को राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों या राष्ट्रवाद से जोड़ने का जो 'मोदी मॉडल' है वह चला ही नहीं।
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के आवास मातोश्री में शनिवार को पार्टी के विधायकों की बैठक में बीजेपी से लिखित आश्वासन लेने की बात कही गई है।
महाराष्ट्र में 50-50 फ़ॉर्मूला कैसा होगा? मुख्यमंत्री कौन बनेगा? उप-मुख्यमंत्री पद होगा या नहीं? क्या उद्धव ठाकरे सत्ता का रिमोट शिवसेना के पास रखने की फिराक में हैं?
शरद पवार को 6 को 60 बनाने का हुनर आता है! इस बार जब विधानसभा चुनाव से पहले एक-एक कर सभी पुराने साथी पार्टी छोड़कर जाने लगे तो शरद पवार यह बात सभाओं में दोहराने लगे थे।
महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजों ने एक बात स्पष्ट कर दी है कि देश की जनता का जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने को लेकर क्या रुख है।
एबीपी न्यूज़-सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक़, एक बार फिर महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना की सरकार बनने जा रही है।
क्या कांग्रेस यह मानने को तैयार हो गयी है कि सावरकर गाँधी की हत्या के आरोपी नहीं थे? या कांग्रेस अपनी विचारधारा को कोई नई दिशा देने की कवायद में लगी हुई है?