योगी आदित्यनाथ को चुनौती देने के लिए आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद भी मैदान में हैं। योगी आदित्यनाथ का यह पहला विधानसभा चुनाव है।
ऐसा माना जा रहा था कि बीजेपी अपर्णा यादव को लखनऊ की किसी सीट से चुनाव में उम्मीदवार जरूर बनाएगी लेकिन ऐसा ना होने पर देखना होगा कि क्या पार्टी उन्हें किसी दूसरी जगह से चुनाव मैदान में उतारती है।
ईडी से वीआरएस लेने वाले राजेश्वर सिंह को बीजेपी टिकट देने जा रही है। लेकिन राजेश्वर सिंह के कार्यकाल में ज्यादातर विपक्षी नेताओं पर कार्रवाई हुई। क्या विवाद है उन्हें लेकर जानिए पूरी कहानी।
बीजेपी निषाद पार्टी और अपना दल के बीच सीट शेयरिंग में किसे फायदा हुआ और किसे नुक़सान? पिछले एक महीने से बातचीत का क्या नतीजा निकला?
रीता बहुगुणा जोशी ने कहा था कि बीजेपी अगर एक परिवार में 2 लोगों को टिकट नहीं देना चाहती तो वह अपनी लोकसभा सीट से इस्तीफा दे सकती हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी प्रत्याशी मुसीबतों में घिरते जा रहे हैं। बुलंदशहर जिले में शिकारपुर सीट से चुनाव लड़ रहे राज्यमंत्री अनिल शर्मा का बेटा सौ-सौ रुपये बांटते नजर आया है। वहीं गांवों में बीजेपी नेताओं को भगाने का सिलसिला जारी है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट
आरपीएन सिंह को अपने पाले में करके बीजेपी क्या पूर्वांचल में ओबीसी वोटबैंक में लगी सेंध की भरपाई कर पाएगी?
विकास के दावे करती रही बीजेपी उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में 'अब्बा जान, जिन्ना, जालीदार टोपी, पाकिस्तान’ जैसे शब्दों का प्रयोग क्यों कर रही है? यदि इसने काम किया है तो धर्म का इस्तेमाल क्यों?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश बीजेपी के लिए सियासी रूप से बेहद उपजाऊ इलाका रहा है। बीते तीन चुनावों में पार्टी को यहां शानदार जीत मिली थी लेकिन एक साल तक चले किसान आंदोलन और सपा रालोद गठबंधन के चलते इस बार उसके सामने चुनौतियां ज्यादा हैं।
बीजेपी लगातार दूसरे दलों को वंशवादी और परिवारवादी बताती है लेकिन उसे अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि नेता अपने बच्चों को टिकट दिलाने के लिए कितना दबाव पार्टी पर बना रहे हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़कर सपा में जाने के बाद यह सवाल उठा था कि क्या संघमित्रा भी बीजेपी से इस्तीफा देकर सपा में जाएंगी। संघमित्रा ने इसका भी जवाब दिया है।
बीजेपी ने अजय मिश्र टेनी को स्टार प्रचारकों की सूची से बाहर रखकर यह संकेत दिया है कि वह चुनाव में किसी तरीके का जोखिम नहीं लेना चाहती।
रामपुर से पूर्व मंत्री आजम खान एक बार फिर सपा का परचम लेकर चुनाव में कूदने को तैयार हैं। बीजेपी ने उनके मुकाबले आकाश सक्सेना को उतारा है। रामपुर फिर से कांटे की चुनावी लड़ाई लड़ेगा। जानिए पूरी कहानी।
उत्तर प्रदेश में क्या बीजेपी की जमीन दरक रही है। क्या इस विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए बहुमत पाने लायक सीटें हासिल कर पाना भी मुश्किल हो रहा है?
पूर्व आईपीएस असीम अरुण यूपी के चर्चित अफसर रहे हैं। बीजेपी उनका इस्तेमाल दलित चेहरे के रूप में करेगी। जानिए पूरी राजनीति।
ओबीसी वर्ग के मंत्रियों, विधायकों के ताबड़तोड़ इस्तीफ़ों के कारण बीजेपी बैकफुट पर है और वह किसी भी सूरत में डैमेज कंट्रोल करना चाहती है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी विधायक चर्चा में हैं, लेकिन कानपुर के बीजेपी विधायक दूसरी वजह से चर्चा में हैं। जानिए क्यों वायरल हो रहा है उनका वीडियो।
बीजेपी 1 से 2 दिन में उम्मीदवारों के नामों की पहली सूची जारी कर सकती है। केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी जिले की सिराथू विधानसभा सीट से जबकि उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा लखनऊ की किसी एक सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
योगी सरकार में मंत्री धर्म सिंह सैनी ने इस्तीफ़ा दे दिया है। यह तीन दिन में तीसरे मंत्री का इस्तीफा है। इससे पहले कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और दारा सिंह चौहान इस्तीफा दे चुके हैं।
मुकेश वर्मा फिरोजाबाद की शिकोहाबाद सीट से विधायक हैं। ऐसी चर्चा है कि आने वाले दिनों में कुछ और विधायक बीजेपी से किनारा कर सकते हैं।
बीजेपी को ऐसी उम्मीद है कि योगी आदित्यनाथ के अयोध्या से चुनाव लड़ने पर वह हिंदू मतों का कुछ और हिस्सा अपने पाले में खींच सकती है और इससे डैमेज कंट्रोल हो सकता है।
बीजेपी के एक और विधायक विनय शाक्य को लेकर तस्वीर साफ हो गई है। वो भी सपा में जा रहे हैं। लेकिन उनके घर के बाहर पुलिस तैनात कर दी गई है। जानिए पूरी कहानी।
अवतार सिंह भड़ाना मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट से विधायक हैं। भड़ाना इससे पहले इंडियन नेशनल लोकदल और कांग्रेस में भी रह चुके हैं।
यूपी को लेकर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व भारी दबाव में आ गया है। इस संबंध में उसके कोर ग्रुप की बैठक भी हुई। बीजेपी छोड़ने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने पार्टी को खुली चुनौती दी है। पूरी रिपोर्ट में जानिए क्या कुछ हो रहा है।
चुनावी रैलियों और सभाओं पर रोक के बाद जानिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार के लिए क्या तरीक़ा ढूंढ निकाला है।
स्वामी प्रसाद मौर्य और कई विधायकों का पार्टी छोड़कर जाना निश्चित रूप से 45 फ़ीसदी ओबीसी आबादी वाले राज्य में बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका है।