दुनिया में कई ऐसी छोटी-छोटी भाषाएं हैं जो विलुप्त होने के कगार पर हैं। हो सकता है कि अगले कुछ वर्षों में उनको बोलनेवाला कोई न बचे। क्या ऐसी भाषा या भाषाओं को मृत होने से बचाया जा सकता है? जटिल सवाल है और उत्तर मुश्किल क्योंकि ये काम आसान नहीं है। फिर भी अगर किसी भाषा को बचाना है तो कोई लेखक ये राह चुन सकता है कि उस भाषा में वो खुद लिखे। शायद इससे उस भाषा की उम्र लंबी हो जाए।