कन्हैया चुनाव लड़ेंगे, यह घोषणा होते ही कन्हैया के ख़िलाफ़ घृणा अभियान शुरू हो गया है। इस बार यह राष्ट्रवादियों की ओर से नहीं, ख़ुद को वामपंथी कहनेवाले और दलित या पिछड़े सामाजिक समुदायों के प्रवक्ता कहे जानेवालों की ओर से चलाया जा रहा है। प्रायः ऐसा सोशल मीडिया के माध्यम से किया जा रहा है। कन्हैया पर कई प्रकार के आरोप हैं। सबसे पहला यह कि वह भूमिहार हैं, 'ऊँची' जाति के हैं और इसलिए सामजिक न्याय, आदि के बारे में बात करने का उन्हें कोई अधिकार नहीं। या अगर वे ऐसा कर रहे हैं तो वे नाटक कर रहे हैं। जिस जगह वे हैं, वह दरअसल किसी दलित या पिछड़े को मिलनी चाहिए थी और वे उनका हक़ मारकर वहाँ बैठ गए हैं, या खड़े हो गए हैं!
भूमिहार पहचान में ही कैद क्यों रखना चाहते हैं कन्हैया को?
- वक़्त-बेवक़्त
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- 1 Apr, 2019

कन्हैया के ख़िलाफ़ घृणा अभियान शुरू हो गया है। यह ख़ुद को वामपंथी कहनेवाले और दलित या पिछड़े सामाजिक समुदायों की ओर से क्यों है? इससे एक सवाल उठता है कि क्या एक ‘उच्च जाति’ का व्यक्ति दलितों के संघर्ष में शामिल ही नहीं हो सकता? जो कन्हैया की भूमिहार पहचान में ही उन्हें कैद रखना चाहते हैं क्या वे दलितों के संघर्ष को व्यापक कर रहे हैं या कमज़ोर?