ज़ोहरान ममदानी
Zohran Mamdani: न्यूयॉर्क सिटी के मेयर चुनाव में भारतीय मूल के डेमोक्रेट प्रत्याशी ज़ोहरान ममदानी अमेरिकी राजनीति में छा गए हैं। स्तंभकार अपूर्वानंद ने लिखा है कि अमेरिका के पास खुद को सुधारने का एक मौका है। ज़रूर पढ़िएः
ज़ोहरान ममदानी यह बतलाते हैं कि अमरीका क्यों अभी भी एक संभावना है।अपने सारे शैतानीपन के बावजूद। और वे यह भी बतलाते हैं कि अमरीका में क्या बुनियादी खोट है।ममदानी जो सिर्फ़ 33 साल के हैं, और जिन्हें अभी महीना भर पहले तक दुनिया नहीं जानती थी, आज अमरीका के और दुनिया के कुछ सबसे अधिक जाने जानेवाले नामों में एक हैं। नहीं, वे किसी सुंदर पिचाई की तरह किसी अरबपति कंपनी के मुखिया नहीं बन गए हैं। न उन्होंने अमरीका के राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति पद का चुनाव जीता है।
अभी तो उन्होंने न्यूयार्क के मेयर के चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार होने की पात्रता भर हासिल की है। लेकिन अभी ही अमरीका के सबसे ताकतवर अख़बारों के मुखपृष्ठ पर ममदानी हैं। और टेलीविज़न चैनलों में ममदानी ही बहस के बीच हैं। बहस के विषय हैं। अमरीकी अभिजन के लिए ममदानी कितने ख़तरनाक है, यह इससे मालूम होता है कि अमरीका के राष्ट्रपति ने उन पर हमला बोल दिया है।
ममदानी में वे सारी बातें हैं जो उनके लिए घृणा पैदा कर सकती हैं। वे अश्वेत है।भारतीय मूल के हैं। उनकी माँ भारतीय पंजाबी फ़िल्मकार मीरा नायर हैं। पिता मशहूर बौद्धिक, अध्यापक और लेखक महमूद ममदानी हैं। वे युगांडा होते हुए अमरीका पहुँचाने वाले गुजराती भारतीय मूल के हैं। ममदानी की मुसलमान पहचान ही काफ़ी है उनके ख़िलाफ़ नफ़रत की बरसात के लिए। और वह हमला उन पर हुआ। इसके बावजूद ममदानी ने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवारी जीत ली।
न सिर्फ़ रिपब्लिकन बल्कि डेमोक्रेटिक पार्टी में भी ममदानी के पार्टी की उम्मीदवारी जीतने से घबराहट फैल गई है। डॉनल्ड ट्रम्प ने ममदानी को 100 % पागल कम्युनिस्ट कहा है। ट्रम्प ने कहा कि ममदानी बदशक्ल हैं और उनकी आवाज़ कर्कश है। और आज की पश्चिमी दुनिया का सबसे बड़ा इल्ज़ाम उन पर लगाया गया: ममदानी यहूदी विरोधी हैं। यह घबराहट कितनी गहरी है यह इससे मालूम होता है कि ट्रम्प ने अपना हमला जारी रखते हुए धमकी दी है कि अगर ममदानी न्यूयार्क के मेयर हो जाते हैं तो उन्हें सीमा में रहना होगा, वरना न्यूयार्क को अनुदान बंद कर दिया जाएगा।
ममदानी ने इसके जवाब में कहा है कि उन्होंने मालूम है कि राष्ट्रपति यही बोलेंगे कि उनकी शक्ल सूरत कैसी है और कैसे बोलते हैं और वे कौन हैं और कहाँ से आए हैं।यह वे इसलिए कर रहे हैं कि वे इस बात से लोगों का ध्यान भटका सकें कि वे दरअसल करना क्या चाहते हैं। वे लोगों के लिए रिहाइश सस्ती करना चाहते हैं। वे किराए पर लगाम लगाना चाहते है, बच्चों की देखभाल को मुफ़्त करना चाहते हैं और अधिक संपत्तिशाली लोगों पर टैक्स बढ़ाकर साधारण श्रमिकों और अन्य न्यूयार्क निवासियों का जीवन बेहतर करना चाहते हैं। वे न्यूयार्क को ट्रम्प सरकार के हस्तक्षेप से सुरक्षित भी करना चाहते हैं।
ममदानी ख़ुद को जनतांत्रिक समाजवादी कहते हैं। उन्होंने अपनी विचारधारा को स्पष्ट करते हुए कहा कि वे डॉक्टर मार्टिन लूथर किंग के सपने को ही पूरा करना चाहते हैं जिन्होंने कहा था कि ‘चाहें तो इसे जनतंत्र कहें या जनतांत्रिक समाजवाद कहें। (असल बात यह है कि) इस देश में ईश्वर की सभी संतानों के लिए धन का बेहतर वितरण होना चाहिए।‘
वे संसाधनों के बेहतर बँटवारे और रोटी कपड़ा और मकान की बात कर रहे हैं इसका मतलब यह नहीं कि वे कोई अरविंद केजरीवाल हैं जिन्होंने कहा कि उनकी राजनीति प्रशासन की विचारधारा वाली है और उनसे किसी भी तरह की विचारधारा की माँग नहीं की जानी चाहिए। ज़ोहरान ममदानी ने पश्चिमी दुनिया और अमरीका के सबसे संवेदनशील मुद्दे पर अपनी बात खुलकर रखी है: वे इस्राइल को एक अपराधी देश मानते हैं। उन्होंने यहाँ तक कहा कि अगर बेंजामिन नेतन्याहु न्यूयार्क आया तो वे उसे गिरफ़्तार कर लेंगे। यह कहना कितना जोखिम भरा है, यह अमरीका की राजनीति को देखने वाला हर कोई जानता है।
यह सब वे उस प्रदेश में कह रहे थे जहाँ यहूदियों की आबादी अमरीका के किसी दूसरे इलाक़े से कहीं अधिक है। यानी उनके मतदाता यहूदी हैं। इस तथ्य के कारण वे इस्राइल की आलोचना से बचकर नहीं निकल रहे। न ही वे घुमा फिरा कर अपनी बात कह रहे हैं।
वे फ़िलीस्तीन की आज़ादी के हक़ में हैं। उन्होंने नारा लगाया कि इंतफ़ादा को पूरी दुनिया में फैला देना चाहिए। यह भी कम ख़तरनाक नहीं है। उन पर आरोप लगाया गया कि वे इस्राइल को ख़त्म कर देना चाहते हैं। लेकिन ममदानी ने अपनी बात वापस नहीं ली। उन्होंने कहा कि वे जानते हैं कि अमरीका या पश्चिमी दुनिया में अरबी शब्दों या मुहावरों को किस तरह विकृत कर दिया जाता है। लेकिन वे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहते। उन्होंने समझाया कि इंतफ़ादा बराबरी और समान अधिकार की एक छटपटाहट है। उन्होंने अमरीका के होलोकॉस्ट संग्रहालय में 1944 के यहूदियों के विद्रोह के लिए इंतफ़ादा शब्द के इस्तेमाल की तरफ़ इशारा किया।
उन पर आरोप लगा कि वे इस्राइल के ख़िलाफ़ हैं। पूछा गया कि क्या वे यहूदियों के देश के तौर पर इस्राइल को मान्यता देंगे। उन्होंने साफ़ कहा कि किसी भी प्रकार के नस्लभेद पर आधारित राष्ट्र को वे स्वीकार नहीं करते। आज के अमरीका में यह सब कहने के लिए ख़ासी नैतिक स्पष्टता और हिम्मत चाहिए।
ममदानी को अभी 4 महीने बाद मेयर के चुनाव में ख़ुद को साबित करना है। उनका मुक़ाबला न्यूयार्क के पदासीन मेयर से होगा और हो सकता है कि रिपब्लिकन पार्टी भी उम्मीदवार उतारे।लेकिन डेमोक्रेटिक पार्टी के वज़नदार नेता एंड्रयू कुनो को हराना भी आसान नहीं था। कुनो अमरीका के राजनीतिक अभिजन में से एक हैं। उन्होंने पैसा पानी की तरह बहाया।उन्होंने ट्रम्प की तरह ही ममदानी पर तरह तरह के आरोप लगाए।लेकिन ममदानी विचलित नहीं हुए।उन्होंने कुनो के धनबल का मुक़ाबला जन बल से किया। और आत्म बल से।
ममदानी का चुनाव अभियान उन सारे लोगों के लिए एक उदाहरण और सबक़ है जो अमरीका में ही नहीं, दुनिया के दूसरे मुल्कों में घृणा और धनबल की राजनीति का मुक़ाबला कर रहे हैं।
ममदानी ने अपने इरादों को नहीं छिपाया, अपनी विचारधारा पर पर्दा नहीं डाला।यह नहीं कहा कि उनकी मुसलमान पहचान महत्त्वपूर्ण नहीं है। इस्राइल के जनसंहार पर चुनाव प्रचार के दौरान भी बोलते रहे। यह जानते हुए कि उनके संभावित मतदाता यहूदी हैं।
ममदानी का चुनाव प्रचार खुशमिजाजी से लबरेज़ था। यह अपने विचारों पर भरोसे से पैदा हुई प्रसन्नता थी। इंस्टाग्राम, टिकटॉक और दूसरे आधुनिकतम तकनीकी माध्यमों से ममदानी ने एक अत्यंत ही मानवीय चुनाव अभियान चलाया।लेकिन वे सिर्फ़ सोशल मीडिया पर निर्भर नहीं रहे।उन्होंने तक़रीब 50,000 कार्यकर्ताओं को घर घर भेजा और एक एक से 35 डॉलर जैसी छोटी रक़म के सहारे लाखों डॉलर इकट्ठा किए।
ज़ोहरान ममदानी ने साबित किया कि लोगों के भीतर छिपी अच्छाई और भलाई को सक्रिय किया जा सकता है। उन्होंने गोरे लोगों, यहूदियों को एक ऐसा मंच दिया जहाँ वे ख़ुद को इंसान महसूस कर सकें। हम उम्मीद करें कि यह वे नवंबर में दुहरा पाएँगे। अगर न्यूयार्क उन्हें अपना मेयर चुनता है तो इससे मालूम होगा कि वह डरा हुआ नहीं है,ख़ुद को लेकर आश्वस्त है। नवंबर का चुनाव ममदानी को ख़ुद को साबित करने का मौक़ा नहीं है, न्यूयार्क को उन्होंने एक अवसर दिया है कि वह साबित कर सके कि अमरीका में अभी भी इंसानियत की पुकार सुनने के कान बचे हैं।