भूटान में हाल में चीन द्वारा कई गांव बसाने की एक के बाद एक आई रिपोर्टों के बीच अब चीन द्वारा ही नये ढाँचे खड़े किए जाने की रिपोर्ट सामने आई है। भूटान के साथ विवादित ज़मीन पर चीन कम से कम छह जगहों पर ऐसे ढाँचे बना रहा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे क़रीब 600 ढांचे तैयार किए जा रहे हैं जिनमें दो मंजिला इमारत भी शामिल है। सैटेलाइट इमेज और अमेरिकी डाटा विश्लेषण करने वाली संस्था हॉकआई के हवाले से अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी रायटर्स ने यह रिपोर्ट दी है।
भूटान चीन के विवादित क्षेत्र में ताज़ा ढाँचे खड़े किए जाने की रिपोर्ट तब आई है जब चीन-भारत के बीच 14वें दौर की सैन्य बातचीत चल रही है। बातचीत का यह दौर पूर्वी लद्दाख में टकराव के बाद से जारी है। क़रीब 20 महीने से उन क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है। समझा जाता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के संवेदनशील क्षेत्रों में वर्तमान में दोनों में से प्रत्येक देश के करीब 50,000 से 60,000 सैनिक हैं।
पूर्वी लद्दाख के बाद चीन ने अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में भी हलचल तेज कर दी है। समझा जाता है कि चीन भारत को चारों ओर से घेरने के लिए ऐसा कर रहा है। दरअसल, चीन को लेकर मान्यता है कि वह लगातार विस्तारवादी नीति अपनाए हुए है।
चीन की इस विस्तारवादी नीति का ही नतीजा है कि वह वियतनाम, भारत, नेपाल, भूटान में ज़मीनों पर तो कब्ज़ा जमाना ही चाहता है, वह अब दूसरे देशों के साथ दोस्ती का हाथ बढ़ाकर दूसरे रूप में अधिकार जमा रहा है। श्रीलंका की हम्बनटोटा बंदरगाह इसकी मिसाल है। बाँग्लादेश और मालदीव जैसे देशों तक भी वह पहुँच बढ़ा रहा है। चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को भी इसी दिशा में बढ़ाये गये एक क़दम के तौर पर देखा जा रहा है।
भूटान के विवादित क्षेत्र में भी अब नये सिरे से ढाँचे तैयार किए जाने को चीन की इसी विस्तारवादी नीति से जोड़कर देखा जा रहा है। अमेरिकी डेटा एनालिटिक्स फर्म हॉकआई 360 द्वारा रॉयटर्स को मुहैया कराई कई सैटेलाइट तसवीरें और इसका विश्लेषण जमीनी स्तर पर निर्माण की पुष्टि करते हैं। इसके लिए गतिविधियों पर खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए उपग्रहों का उपयोग किया गया है और दो अन्य विशेषज्ञों ने इसकी जांच की है।
रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भूटान की पश्चिमी सीमा के साथ कुछ स्थानों पर निर्माण से संबंधित गतिविधि 2020 की शुरुआत से चल रही है। रिपोर्ट के अनुसार सैटेलाइट इमेज दिखाती हैं कि 2021 में काम में तेजी आई है।
कैपेला स्पेस द्वारा नए निर्माण के स्थानों और हाल ही में ली गई उपग्रह की तसवीरों का अध्ययन करने वाले दो अन्य विशेषज्ञों ने कहा कि सभी छह बस्तियां चीन और भूटान के विवादित क्षेत्र में प्रतीत होती हैं। इसमें क़रीब 110 वर्ग किलोमीटर का एक विवादित क्षेत्र शामिल है।
भूटान के विदेश मंत्रालय ने रॉयटर्स के सवालों के जवाब में कहा, 'यह भूटान की नीति है कि वह जनता के बीच सीमा के मुद्दों पर बात न करे।' मंत्रालय ने आगे टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
विशेषज्ञों और एक भारतीय रक्षा सूत्र ने कहा कि निर्माण से पता चलता है कि चीन अपनी महत्वाकांक्षाओं को ठोस रूप देकर अपने सीमा दावों को हल करने पर आमादा है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि निर्माण 'पूरी तरह से स्थानीय लोगों के काम करने और रहने की स्थिति में सुधार के लिए है।'
इस मामले में चीन कुछ भी सफ़ाई दे, लेकिन उसके मंसूबे पर हर बार सवाल उठते रहे हैं। नवंबर 2020 में भी भूटान के क्षेत्र में गांव बसाने की ख़बर आई थी। तब भी सैटेलाइट तसवीरों और ऑस्ट्रेलिया के विशेषज्ञों ने कहा था कि चीन ने भूटान की सीमा के क़रीब ढाई किलोमीटर अंदर एक गाँव बसा लिया था। यह ख़बर तब आई थी जब चीन के सरकारी मीडिया सीजीटीएन के एक वरिष्ठ प्रोड्यूसर शेन शिवेई ने गुरुवार को एक गांव की कई तसवीरें पोस्ट कीं। उन तसवीरों में नदी किनारे बसे गाँव, सड़कें और पेड़-पौधे दीख रहे थे। उसके साथ उन्होंने ट्वीट में लिखा था, 'अब, हमारे पास स्थायी रूप से नवस्थापित पंगड़ा गाँव के निवासी हैं। यह घाटी के किनारे बसा है, यादोंग देश से 35 किमी दक्षिण में है। जगह बताने वाले मैप को देखिए।'
ऑस्ट्रेलिया के सामरिक नीति संस्थान में काम करने वाले सैटेलाइट इमेजरी विशेषज्ञ नथन रसर ने शेन शिवेई के उस ट्वीट के बाद इस मामले की पड़ताल की। उन्होंने उन तसवीरों, सैटेलाइट इमेजरी और दूसरे तथ्यों के आधार पर दावा किया कि भूटान की ज़मीन पर चीन ने गाँव बसाया है।
A CGTN reporter posted a tweet sharing news of a constructed village 2.5km into Bhutan, which had been constructed by China and is now occupied Bhutanese territory. @shen_shiwei then deleted the tweet with that admission. Here's a cached screenshot. https://t.co/tBwRclF9A9 pic.twitter.com/2xleSqtbWx
— Nathan Ruser (@Nrg8000) November 19, 2020
बाद में अगले साल यानी 2021 में भी भूटान के अंदर 4 गांव बसाने की ख़बर आई थी। ये गांव मई, 2020 से नवंबर, 2021 के बीच बसाए गए। वह विवादित जगह थी और डोकलाम में है। यहाँ पर 2017 में भारत और चीन के सैनिकों का आमना-सामना हुआ था और दोनों देशों के बीच कई दिन तक तनातनी चली थी। तब चीन ने यहां सड़क बनाने की कोशिश की थी लेकिन भारत के सैनिकों ने इसका विरोध किया था।
अब भूटान ने तो ताज़ा ढाँचों के निर्माण पर सार्वजनिक तौर पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है, लेकिन क्या इसपर भारत को चिंतित होना चाहिए? क्या भूटान पर पड़ने वाली कोई भी आंच भारत को बिना प्रभावित किए रह सकती है?
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