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प्रतीकात्मक और फाइल फोटो

कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी ने माना उसकी वैक्सीन से हो सकते हैं गंभीर साइड इफेक्ट 

कोविशील्ड बनाने वाली ब्रिटिश कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार अदालती दस्तावेजों में माना है कि उसकी कोविड 19 वैक्सीन दुर्लभ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती है। इस दिग्गज फार्मास्युटिकल कंपनी द्वारा इस बात को स्वीकार किये जाने के बाद दुनिया भर में स्वास्थ्य से जुड़े कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं।  माना जा रहा है कि इससे वैक्सीन को लेकर आम लोगों के विश्वास भी अब प्रभावित हो सकते हैं। 

ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ ने इसको लेकर बीते 28 अप्रैल को खोजी रिपोर्ट प्रकाशित की है। द टेलीग्राफ की इस रिपोर्ट के मुताबिक, कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने पहली बार अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया है कि वैक्सीन से दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकता है।

कंपनी ने माना है कि उसकी वैक्सीन, बहुत ही दुर्लभ मामलों में, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम या टीटीएस का कारण बन सकती है। इसके साथ ही इसे लेने वाले में थ्रोम्बोसिस नामक एक दुर्लभ दुष्प्रभाव भी हो सकता है। हालांकि वैक्सीन निर्माता ने अदालती दस्तावेज़ों में कहा है कि कोविशील्ड, दुर्लभ मामलों में ही ऐसी स्थिति का कारण बन सकती है। 

इसके कारण होने वाले साइड इफेक्ट में खून के थक्के जम सकते हैं और प्लेटलेट की संख्या कम हो सकती है जिसके कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। 
कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी एस्ट्राजेनेका ने इस बात को तब स्वीकार किया है जब वह इस वैक्सीन के कारण कुछ केस में मानव स्वास्थ्य को होने वाले गंभीर नुक्सान और कई मौतों के आरोपों से जुड़े मुकदमों को झेल रही है। माना जा रहा है कि कंपनी को कई मिलियन पाउंड का हर्जाने का भुगतान करना पड़ सकता है। 
एस्ट्राज़ेनेका और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा विकसित कोविशील्ड वैक्सीन का व्यापक रूप से इस्तेमाल भारत सहित दुनिया के कई देशों में हो चुका है। भारत में जहां इसका उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा किया गया था। 
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जाने क्या है टीटीएस ?

द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक सार्वजनिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञ माने जाने वाले डॉ. जगदीश जे हीरेमथ बताते हैं कि“थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) के साथ थ्रोम्बोसिस एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें शरीर की रक्त वाहिकाओं में रक्त के थक्के(थ्रोम्बोसिस) बन जाते हैं और खून में प्लेटलेट्स की संख्या कम  (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया) हो जाती है। 
इस स्थिति को कुछ कोविड 19 टीकों से जुड़े एक अत्यंत दुर्लभ साइड इफेक्ट के रूप में देखा गया है, विशेष रूप से वे जिन्हें एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (कोविशील्ड) जैसे एडेनोवायरस वैक्टर वाली वैक्सीन दी गई थी।  
टीटीएस इसलिए होता है, क्योंकि मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली एंटीबॉडी बनाकर टीके के प्रति अपनी प्रतिक्रिया देती है, जो रक्त के थक्के जमने में शामिल प्रोटीन पर हमला करती है। 
रिपोर्ट कहती है कि कोविशील्ड टीकाकरण के बाद टीटीएस होने का सटीक तंत्र पूरी तरह से समझा नहीं गया है। हालांकि डॉ. जगदीश जे हीरेमथ कहते हैं कि यह अनुमान लगाया गया है कि टीका एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकता है। जो कि प्लेटलेट सक्रियण और रक्त के थक्कों के गठन की ओर ले जाता है, जो ऑटोइम्यून हेपरिन-प्रेरित थ्रोम्बोसाइटोपेनिया के समान है।
टीटीएस बेहद दुर्लभ है, यह बहुत कम केस में ही हो सकता है। यह निर्भर करता है कि इस वैक्सीन को लेने वाले कि उम्र, लिंग क्या है, कुछ केस में आनुवंशिक कारण भी इस स्थिति के जिम्मेदार हो सकते हैं। 
टीटीएस की स्थिति में आमतौर पर गंभीर सिरदर्द, धुंधली दृष्टि, सीने में दर्द, पैरों में सूजन, लगातार पेट दर्द और टीकाकरण के कुछ हफ्तों के भीतर सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखते हैं। 
इस स्थिति से ठीक होने के लिए शीघ्र पता लगाना और इलाज जरूरू है। इसलिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और मरीजों दोनों को इन लक्षणों के प्रति सतर्क रहना चाहिए। 
भारतीयों को इस रिपोर्ट के बारे में जागरूक होने की जरूरत है, लेकिन इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है। ऐसा इसलिए कि कोविशील्ड वैक्सीन के लाभ इसके दुलर्भ साइड इफेक्ट के जोखिम के मुकाबले काफी ज्यादा हैं। 
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क़मर वहीद नक़वी
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