संजय राय पेशे से पत्रकार हैं और वह समसामयिक विषयों पर लिखते रहते हैं।
महाराष्ट्र में 1972 के सूखे से भी इस साल का सूखा गंभीर है क्योंकि लगातार पिछले तीन सालों से बारिश कम हो रही है और नतीजन इस साल संकट ज़्यादा बढ़ गया है। इसके लिए कौन है ज़िम्मेदार?
मोदी बार-बार महाराष्ट्र क्यों आ रहे हैं और शरद पवार को ही निशाना क्यों बना रहे हैं, यह सवाल अब चर्चा का विषय बन गया है। क्या इनके बीच को व्यक्तिगत दुश्मनी है या अन्य कोई कारण?
2014 के चुनाव में मतदाताओं ने एकतरफ़ा वोट डाले थे, लेकिन इस बार चुनाव में वह मोदी लहर दिखाई नहीं दे रही है। हालाँकि सर्वेक्षण बीजेपी-शिवसेना के पक्ष में आते दिख रहे हैं, परिस्थितियाँ बदली हैं। तो किस करवट बैठेगा ऊँट?
लोकसभा चुनावों में हर वयस्क वोट डाल रहा है, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में हर वयस्क नागरिक को मतदान का अधिकार दिलाने के लिए बाबा साहब भीम राव आम्बेडकर ने एक लंबी लड़ाई लड़ी थी?
इलेक्टोरल बॉन्ड के ज़रिए दो अरब रुपये का चंदा उगाहने वाली बीजेपी इस मुद्दे पर घिरी लगती है। काले धन को ख़त्म करने का दावा करने वाले मोदी से सवाल पूछे जा रहे हैं।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दंभ भरने वाले हमारे देश में लोकतंत्र की जड़ें कितनी गहरी हैं इस बात का अंदाज़ा चुनाव पूर्व के दो महीनों में लगाया जा सकता है। दलों के बीच लड़ाई जाति-धर्म-कुल-गोत्र और क्षेत्र में उलझकर रह गई है।
अमिताभ बच्चन और गोविंदा दो ऐसे नाम हैं जिन्होंने राजनीति में उतर कर भारतीय राजनीति के दो कद्दावर नेताओं के राजनीतिक भविष्य पर ही पूर्ण विराम लगा दिया।
प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर आन्दोलन के नेता थे और एक दौर में नरेंद्र मोदी के मित्र भी। लेकिन इस बार वह अपना राजनीतिक दल बनाकर बीजेपी के ख़िलाफ़ ताल ठोकने जा रहे हैं।
48 साल बाद कांग्रेस ने एक बार फिर ‘ग़रीबी हटाओ’ जैसा नारा दिया है। लेकिन सवाल यह है कि न्यूनतम आमदनी योजना से क्या कांग्रेस 2019 में सत्ता में वापसी कर पाएगी?
आज का दौर है यहाँ सत्ता की कुर्सी पर बैठने वाले नेताओं और सत्ता के गलियारों में फलने-फूलने वाले दलालों की डायरियों का। ये डायरियाँ आज कई भ्रष्टाचार के राज खोलती हैं।
2014 में जो लोग नरेंद्र मोदी के साथ खड़े थे अब वे कांग्रेस-राष्ट्रवादी कांग्रेस गठबंधन से हाथ मिलाते जा रहे हैं।
क्या उत्तर प्रदेश के चक्कर में कांग्रेस महाराष्ट्र को भूल गई है? जबकि राहुल गाँधी महाराष्ट्र की राजनीति पर ध्यान देकर उत्तर प्रदेश से ज़्यादा फल हासिल कर सकते हैं।
अन्ना आंदोलन के दौरान बने नारे की तर्ज पर बीजेपी ने ‘मैं भी चौकीदार’ नारा तो बना लिया, लेकिन देखना होगा कि क्या यह नारा लोगों को लोकसभा चुनाव में लुभा पाएगा।
पिछले चुनाव में बनारस जाकर नरेन्द्र मोदी का यह कहना कि मुझे गंगा माँ ने बुलाया है! अब प्रियंका पूर्वांचल की गंगा यात्रा करेंगी। इंदिरा गाँधी ने 1978 में पूर्वांचल से वापसी की थी तो क्या प्रियंका भी वैसा ही कमाल कर पाएँगी?
2014 के लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई वादे किए थे। सरकार को लगभग 5 साल पूरे हो चुके हैं, ऐसे में यह जवाब माँगा जा रहा है कि उन वादों का क्या हुआ।
आजकल बाबा साहब आंबेडकर के पोते प्रकाश आंबेडकर और एमआईएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी के गठबंधन 'वंचित बहुजन आघाडी' के समीकरण की काफ़ी चर्चा है।
मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस वाला पुल गुरुवार को टूट गया और छह लोग मारे गये। हादसा-दर-हादसा, वही रिपोर्ट और वही जाँच के आदेश। परिणाम कुछ नहीं।
महाराष्ट्र के सियासी परिवारों में सत्ता का संघर्ष होता रहा है। ठाकरे और भोसले राजघराने के बाद अब शरद पवार के परिवार में सत्ता को लेकर कलह शुरू हो गई है।
क्या बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के बाद भी पार्टी के शीर्ष नेताओं में अभी भी कोई कसक या गाँठ रह गयी है? एक दिन पहले ‘सामना’ में छपे संपादकीय को पढ़कर तो ऐसा ही लगता है।
शरद पवार के लोकसभा चुनाव न लड़ने के एलान ने इस बात को उजागर कर दिया है कि परिवार पर उनकी पकड़ शायद कमज़ोर पड़ने लगी है।
पवार ने कहा है कि मोदी दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। उन्होंने कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मनसे नए समीकरण बनाएगी और इसकी ताक़त बढ़ेगी।
विधानसभा में भाजपा के साथ मिलकर इन दलों ने शिवसेना को पटकनी देने में मदद की थी, लेकिन आज बीजेपी को शिवसेना का साथ मिलने पर ये सहयोगी दल बेगानों जैसे हो गये हैं।
आचार संहिता लागू हो गई है लेकिन महाराष्ट्र में गठबंधन और सीटों के बंटवारे का खेल अभी ख़त्म नहीं हुआ है। आकलन लगाया जा सकता है कि इस बार मुक़ाबला त्रिकोणीय होने वाला है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सबसे बड़े नेता और प्रधानमंत्री के संभावित दावेदारों में से एक समझे जाने वाले शरद पवार ने घोषणा की है कि वह अगला लोकसभा चुनाव नही लड़ेंगे।
राहुल गांधी ने बैठक में अपनी नाराज़गी भी जताई थी कि महाराष्ट्र कांग्रेस छोटे-छोटे मुद्दों को हल करने की बजाय उन्हें आगे ढकेले जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने आंगनबाड़ी पोषण आहार की ख़रीद के लिए निकाले गए टेंडर्स को रद्द कर दिया है। इससे बीजेपी सरकार में मंत्री पंकजा मुंडे की मुश्किलें बढ़ गई हैं।