इन दिनों 'दि इंडियन एक्सप्रेस' में हिंदू राष्ट्रवाद के उदय एवं प्रभुत्व पर योगेन्द्र यादव, सुहास पलसीकर एवं अकील बिलग्रामी जैसे मेधावी समाज विज्ञानियों के अत्यंत गहन विचार प्रकाशित हो रहे हैं. वे इस बात से चिंतित हैं कि भारतीय राष्ट्रवाद की वर्तमान अवधारणा यूरोपियन ढंग के राष्ट्रवाद जैसी है. हम इसे हिन्दुत्व की राजनीति या हिंदू राष्ट्रवाद का नाम देते हैं. ये सभी यह स्वीकार करते हैं कि हिन्दू राष्ट्रवाद ही आज विद्यमान राष्ट्रवाद है. इसमें कोई संदेह नहीं कि हिन्दू राष्ट्रवाद अत्यंत मुखर एवं प्रभुत्वशाली है. लेकिन फिर भी भारतीय राष्ट्रवाद का विचार अभी तक भारतीय समाज के बड़े तबके के दिलों में कायम है. यदि हम मतदान प्रतिशत की बात करें तो सन् 2024 के चुनाव में हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी को 36.5 प्रतिशत मत हासिल हुए थे और ऐसे आरोप थे कि इनमें से बहुत से वोट हेराफेरी और जोड़तोड़ के जरिए हासिल किए गए थे.
Hindutva Politics: भारत में यूरोपीय ढंग के राष्ट्रवाद की विकास यात्रा
- विश्लेषण
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- 29 Jun, 2025

Hindu Nationalism- भारत में जिस तरह से हिंदू राष्ट्रवाद प्रभावी हो गया है, वो यूरोपीय मॉडल की नकल है। उसने भारतीय राष्ट्रवाद को दबा दिया है। यह खतरनाक स्थिति है। प्रसिद्ध चिंतक राम पुनियानी ने इस लेख में इसका जायज़ा लिया है। ज़रूर पढ़िए।