बॉलीवुड दुनिया में सबसे ज़्यादा फिक्शन फीचर फिल्म बनने वाले उद्योगों में से एक है। हर साल अरबों रुपये की फ़िल्में बनती हैं, लेकिन क्या ऐसा ही हाल नॉन फिक्शन डॉक्यूमेंट्री के साथ है? कल्पनाओं पर आधारित फीचर फ़िल्मों के उलट डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में तथ्यों और वास्तविक घटनाओं और जानकारियों पर आधारित होती हैं। भारत में पिछले कुछ दशकों में डॉक्यूमेंट्री को लेकर ज़्यादा हलचल नहीं दिखी। लेकिन अब ऑस्कर यानी  95वें अकादमी अवॉर्ड्स में एक भारतीय डॉक्यूमेंट्री ने इतिहास रच दिया। इसके साथ ही एक और भारतीय डॉक्यूमेंट्री को नामांकित किया गया था। पिछले साल भी एक भारतीय डॉक्यूमेंट्री नामांकित हुई थी। इससे पहले 1969 में 'द हाउस दैट आनंद बिल्ट' और 1978-79 में 'एन एनकाउंटर विद फ़ेसेज़' नामांकित हुई थी। ये अवॉर्ड जीतने में नाकाम रही थीं।