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20-30 हज़ार वेन्टीलेटर बेकार पड़े हैं, कौन ज़िम्मेदार है इस आपराधिक लापरवाही के लिए?

देश में मेडिकल सुविधाओं का हाल क्या है? किस क़दर जानलेवा लापरवाही की जाती है, इसका ताज़ा उदाहरण है देश में वेटिंलेटर से जुड़ी एक खबर। ऐसे समय में जब कि कोरोना के संकट से देश में दहशत है, क्या आप इस बात पर यकीन कर सकते हैं कि 20 से 30 हज़ार वेन्टीलेटर बेकार पड़े हुए हैं?

बेकार पड़े हैं वेन्टीलेटर

ये वेंटिलेटर किसी गंभीर कोरोना मरीज की जान बचा सकते हैं, पर ये मरम्मत के मुहताज हैं। इन्हें कल-पुर्जे लगा कर काम लायक बनाया जा सकता है। इस बात का खुलासा हुआ है कोरोना रोकथाम के लिए बने अफ़सर के समूहों की शुक्रवार को हुई एक बैठक में।
ये वेन्टीलेटर निजी और सरकारी, दोनों तरह के अस्पतालों में पड़े हुए हैं।  इस बैठक में नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत और कॉनफ़ेडरेशन ऑफ़ इंडियन इंडस्ट्रीज़ के प्रतिनिधि भी मौजूद थे। बैठक में पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरण की आपूर्ति कराने के उपायों पर भी चर्चा हुई। 
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 'नीति आयोग सीआईआई को इन वेन्टीलेटर के बारे में जानकारी देगा। सीआईआई इन्हें चालू करने के लिए राज्य सरकारों से बात करेगा। सीआईआई वेन्टीलेटर बनाने वालों और इनके रख-रखाव करने वाली कंपनियों से बात कर इन्हें चालू करवाएगा। कॉनफ़ेडरेशन से यह भी कहा गया है कि वह उन कल-पुर्जों की सूची तैयार करे, जिन्हें इन वेन्टीलेटर में लगाने की ज़रूरत है।'  
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी के मुताबिक़ ‘भारत में फ़िलहाल छोटी कंपनियाँ ही वेन्टीलेटर बनाती हैं। हमने वेन्टीलेटर बनाने वाली कंपनियों और बड़ी कंपनियों के बीच बात कराई है ताकि वेन्टीलेटर का उत्पादन बढ़ाया जा सके।’ 
उन्होंने इसके आगे कहा, ‘हम रक्षा उत्पादन से जुड़ी कंपनियों और कार बनाने वाली कंपनियों से भी बात कर रहे हैं कि वे ठेके पर वेन्टीलेटर बनाएं ताकि इसकी आपूर्ति बढ़ाई जा सके।’
समझा जाता है कि सरकार ने 50 हज़ार वेन्टीलेटर बनाने का आदेश दे दिया है। भारत में 130 करोड़ की आबादी पर सिर्फ एक लाख के आसपास ही वेंटिलेटर है, जो काफी कम है। कोरोना मरीज़ों की संख्या अगर तेज़ी से बढ़ी तो लाखों वेंटिलेटर की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में ये घोर लापरवाही आपराधिक है और ऐसे लोगों और संस्थाओं के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिये।

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क़मर वहीद नक़वी
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