कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के बीच प्रवासी मज़दूरों का संकट बड़े मानवीय संकट के रूप में आया। दिल को झकझोर देने वाली तसवीरें और वीडियो आए। संकट से जुड़े मामले हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में पहुँचते रहे। मद्रास, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक से लेकर गुजरात के हाई कोर्टों ने सरकारों और अधिकारियों से तीखे सवाल किए। उन्हें स्थिति सुधारने के निर्देश दिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट में जब यही मामले गए तो हाई कोर्ट की तरह स्थिति नहीं दिखी।
कोरोना संकट: उच्च न्यायालयों ने सरकारों से सवाल किए, सुप्रीम कोर्ट बचता रहा
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- 22 May, 2020
अपने सीमित कामकाज के बावजूद उच्च न्यायालय महामारी से निपटने को लेकर सरकार से सवाल कर रहे हैं, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ख़ुद को इससे अलग रखता रहा।

लॉकडाउन के बीच लाखों भूखे लोग सड़कों पर पैदल निकले। लोग दिन-रात भूखे प्यासे चलते रहे। कई लोगों के मरने की ख़बरें आती रहीं। बच्चों की ट्रॉली पर लेटकर जाती हुई तसवीरें दिखीं। राज्यों की सीमाओं पर हज़ारों लोगों की भीड़ लगी रही। इस संकट को लेकर कई अदालतों में याचिकाएँ लगाई गईं। हालाँकि अधिकांश मामले जनहित याचिकाओं से जुड़े हैं, लेकिन उच्च न्यायालयों ने कुछ महत्वपूर्ण मामलों का ख़ुद ही संज्ञान भी लिया। ऐसी स्थिति को देखकर हाई कोर्ट ने प्रवासी मज़दूरों के संकट को मानवीय संकट तक कह दिया। उनके सीमित कामकाज के बावजूद उच्च न्यायालय महामारी से निपटने को लेकर सरकार से सवाल कर रहे हैं, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ख़ुद को इससे अलग रखता रहा।