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गाँधी और नेहरू की चर्चा से शुरू हुआ ह्यूस्टन का हाऊडी मोडी कार्यक्रम!

अमेरिका के ह्यूस्टन शहर में हाऊडी मोडी कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए अमेरिकी संसद कांग्रेस के नेता स्टेनी हॉयर ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। उन्होंने दोनों देशों के बीच की समानता की चर्चा की, दोनों के समान मूल्यों की चर्चा की और दोनों के समान भविष्य की उम्मीदों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग सुरक्षा, विज्ञान, परमाणु क्षेत्र, सॉफ्टवेअर और दूसरे क्षेत्रों में है, नए क्षेत्रोें में भी दोनों देश काम कर रहे हैं।  
हॉयर ने गाँधी और नेहरू की चर्चा की और कहा कि उनकी शिक्षाएँ आज भी महत्वपूर्ण हैं ओर दोनों देश उस पर चलते हैं। 

अमेरिका की तरह भारत भी महात्मा गाँधी की शिक्षाओं से भविष्य संवारने की परंपराओं पर गर्व करता है। यह जवाहर लाल नेहरू की दृष्टि से भारत की धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करता है। दोनों देश बहुलतावाद और हर किसी के मानवाधिकारों की सुरक्षा का सम्मान करते हैं।


स्टेनी हॉयर, बहुमत के नेता, अमेरिकी कांग्रेस

इस कार्यक्रम में बाइबल के गॉस्पल और नरसी मेहता की कविता 'वैष्णव जन तो तेने कहिए, जो पीड़ पराई जाने रे', का पाठ किया गया। यह कविता महात्मा गाँधी की प्रिय कविता मानी जाती है। हॉयर ने यह भी कहा कि महात्मा गाँधी का कहना था कि अंतिम आदमी के बारे में सोचना चाहिए और हर आदमी की आँखों से आँसू  पोछा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम गाँधी की इस बात को याद रखते हैं और उस पर चलने की कोशिश करते हैं। 
कांग्रेस के बहुमत के इस नेता ने बार बार जवाहर लाल नेहरू का नाम लिया। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र है, बहुलतावाद है और मानवाधिकारों की रक्षा की बात की जाती है तो इसका श्रेय जवाहरलाल नेहरू को जाता है।
यह अहम इसलिए भी है कि प्रधानमंत्री मोदी नेहरू को निशाने पर लेते रहते हैं और बार-बार यह साबित करने में लगे रहते हैं कि देश की सारी समस्याओं की जड़ देश के पहले प्रधानमंत्री ही हैं। मोदी यह भी कई बार कह चुके हैं कि पहले प्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल बने होते तो देश की स्थिति कुछ और होती। 
हॉयर ने भारत-अमेरिका सहयोग की चर्चा करते हुए परमाणु कार्यक्रम के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच परमाणु सहयोग से दोनों को फ़ायदा है और इससे यह पता चलता है कि अमेरिका के लिए भारत कितना महत्वपूर्ण है। हॉयर ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम नहीं लिया, पर यह बता दें कि भारत-अमेरिका के बीच परमाणु समझौता उनके प्रधानमंत्री रहते ही हुआ था। उस समय भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में थी और उसने उस सहयोग का ज़बरदस्त विरोध किया था। 
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क़मर वहीद नक़वी
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