पाटीदार से लेकर गुर्जर आंदोलन के नेताओं ने सरकार के 10 फ़ीसदी आरक्षण को चुनावी लॉलीपॉप और जुमला करार दिया है। उन्होंने सरकार के रवैये पर संदेह जताया और कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इसे शायद ही लागू कर पाए। उन्होंने इस प्रस्ताव को लागू करने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए।
हार्दिक पटेल, बैंसला, यशपाल मलिक, कुटे क्या बोले आरक्षण पर?
- देश
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- 8 Jan, 2019
पाटीदार से लेकर गुर्जर आंदोलन के नेताओं ने सरकार के 10 फ़ीसदी आरक्षण को लेकर बड़ी बात कह दी है। उन्होंने सरकार के रवैये पर भी संदेह जताया और कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इसे शायद ही लागू कर पाए।

ये नेता मोटे तौर पर दो वजहों से इसे चुनावी हथकंडा बता रहे हैं। एक तो यह कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय 50 फ़ीसदी की सीमा वाली क़ानूनी प्रक्रिया को पार पाना आसान नहीं है और आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था संविधान में नहीं है। लोकसभा चुनाव से पहले क़ानूनी अड़चनों को दूर करना मुश्किल लग रहा है। और दूसरा यह कि 10 फ़ीसदी में सभी सवर्ण जातियों को भी शामिल कर लिया गया है, जबकि ये नेता या तो ओबीसी में शामिल करने या फिर विशेष कोटे की माँग करते रहे हैं। हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाली पाटीदार अनामत आंदोलन समिति अपने समुदाय के लोगों को ओबीसी कोटा में ही शामिल करने की माँग करती रही है।
‘15 लाख’ जैसा जुमला तो नहीं : हार्दिक
पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने इसे ‘चुनावी लॉलीपॉप’ करार दिया है। उन्होंने संदेह जताया कि यह भी कहीं प्रत्येक साल 2 करोड़ रोज़गार देने और हर बैंक खाते में 15 लाख रुपये जमा करने जैसा एक और चुनावी जुमला न साबित हो जाए। हार्दिक ने कहा, ‘यदि इसे संवैधानिक संशोधन के माध्यम से लागू किया जाता है तो मैं इसका स्वागत करूँगा लेकिन यदि यह सिर्फ़ चुनावी हथकंडा है तो कतई स्वीकार्य नहीं है।’
- 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने वाली हार्दिक की पूर्व सहयोगी रेशमा पटेल ने भी इसे चुनावी तिकड़म करार दिया है। रेशमा ने कहा, ‘मैं इसका स्वागत तभी करूँगी जब 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इसे लागू कर दिया जाए। यदि सरकार ने देरी की और कहा कि इसे लोकसभा चुनाव के बाद लागू किया जाएगा तो यह चुनावी लॉलीपॉप जैसा होगा।’
जाट ओबीसी में या 10% वाली श्रेणी में?
आरक्षण के नए प्रस्ताव के बाद अब यह सवाल उठने लगे हैं कि जाट को किस श्रेणी में शामिल किया जाएगा। दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और गुजरात जैसे राज्यों में जाटों को ओबीसी के अंदर आरक्षण दिया जाता है। यानी जहाँ आरक्षण नहीं है वहाँ यह किस तरह लागू होगा। ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति के यशपाल मलिक ने सरकार के इस फ़ैसले को ‘पोल स्टंट’ बताया।