पहलगाम में आतंकी हमला क्या सिर्फ़ स्थानीय आतंकवादियों के बस की बात है? क्या एम4 जैसे अत्याधुनिक हथियार चलाना बिना सैन्य प्रशिक्षण के संभव है? जानिए, अधिकारियों को क्या आशंका है।
क्या पहलगाम आतंकी हमले के मुख्य संदिग्ध पाकिस्तान की एलीट फोर्स से जुड़े हैं? हमले में एम4 कार्बाइन और एके-47 जैसे उन्नत हथियारों का इस्तेमाल क्या इशारा करता है? क्या यह बिना उम्दा ट्रेनिंग के संभव है? यही ये बड़ी वजहें हैं जिससे पहलगाम में हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकवादियों के पाक सेना के स्पेशल सर्विस ग्रुप से जुड़े होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है।
भारतीय अधिकारी भी पहलगाम हमले में इस ऐंगल से पड़ताल कर रहे हैं। इस हमले में 26 पर्यटकों की जान गई और लश्कर-ए-तैयबा के एक सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ़ ने इसकी जिम्मेदारी ली। अब ख़बरें आ रही हैं कि हमले के मुख्य संदिग्ध पाकिस्तान की एक एलीट फोर्स से जुड़े हो सकते हैं। इस खुलासे ने जांच को एक नया मोड़ दे दिया है और इस बीच गृह मंत्रालय ने इस मामले को राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए को सौंपने का फ़ैसला किया है।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था को हिलाकर रख दिया। ख़बरों में दावा किया गया है कि इन आतंकियों को पाकिस्तान की एक एलीट फोर्स, संभवतः स्पेशल सर्विस ग्रुप यानी एसएसजी से प्रशिक्षण मिला हो सकता है। आतंकियों ने सेना जैसी वर्दी पहनी और M4 कार्बाइन, AK-47 अत्याधुनिक हथियार का इस्तेमाल किया, जो उनकी सैन्य प्रशिक्षण की ओर इशारा करता है।
टीओआई ने भी सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकवादियों के पाक सेना के एसएसजी से जुड़े होने की संभावना है।
माना जा रहा है कि उन्हें अत्याधुनिक हथियार पाकिस्तान आधारित आतंकवादी संगठन एलईटी के मास्टरमाइंडों ने आईएसआई के सहयोग से मुहैया कराए। रिपोर्ट में कहा गया है कि हमलावर आतंकवादी टीम हमले के दौरान संभावित सुरक्षा बलों पर नज़र भी रख रही थी।
आतंकियों के काम करने के नये-नये तरीक़े भी पाकिस्तान की संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस से बताया था, 'आतंकियों की कार्यशैली अब पूरी तरह बदल गई है। वे छोटे समूहों में काम करते हैं, जंगलों में छिपे रहते हैं और माइनस 10 डिग्री तापमान में भी बाहर नहीं निकलते। वे कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट इस्तेमाल नहीं करते, जिससे तकनीकी खुफिया जानकारी जुटाना मुश्किल हो जाता है।' अधिकारी ने आगे बताया, 'आतंकी लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहते हैं। मिसाल के तौर पर अगर सोनमर्ग की चोटियों पर उनकी मौजूदगी की सूचना मिलती है, तो जब तक हम वहां पहुंचते हैं, वे पहलगाम या बांदीपोरा के ऊपरी इलाकों में चले जाते हैं। ये सारे इलाके जंगलों से जुड़े हैं।'
इंस्पेक्टर जनरल के नेतृत्व में एनआईए टीम इस पूरे मामले की जाँच कर रही है और बुधवार को वह घटनास्थल पर पहुँची। सुरक्षा एजेंसियों ने उन आतंकवादियों में से तीन के स्केच भी जारी किए हैं।
हमलावरों में से कम से कम तीन की पहचान हो गई है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार हमलावरों में से एक आदिल ठोकार उर्फ आदिल गुरी है। वह अनंतनाग का है और उसने पाकिस्तान में आतंकवाद की ट्रेनिंग ली। एक और आतंकवादी की पहचान अवंतीपोरा के आसिफ़ शेख के रूप में हुई है जिसने पहले भी आतंकवादियों को गाइड की तरह मदद की है। एक और की पहचान आसिफ़ फौजी के रूप में हुई है जिसपर एजेंसियों को संदेह है कि वह मुसा है जो हार्डकोर पाकिस्तानी एलईटी ऑपरेटिव है। वह कुछ समय से वैली में सक्रिए है। वह कुलगाम के एक स्थानीय एलईटी आतंकवादी जुनैद अहम भट के साथ काम कर रहा था जो दिसंबर 2024 में मारा गया था।
बहरहाल, यदि संदिग्धों का संबंध पाकिस्तान की एसएसजी से साबित होता है तो यह भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौती होगी। एसएसजी एक उच्च प्रशिक्षित सैन्य इकाई है जो विशेष अभियानों के लिए जानी जाती है। इस तरह की संलिप्तता भारत-पाकिस्तान संबंधों में और तनाव बढ़ा सकती है।
हमले में इस्तेमाल की गई रणनीति- सुनियोजित रेकी, सैन्य वर्दी, और दुर्गम क्षेत्र में हमला उच्च स्तर की योजना और प्रशिक्षण को दिखाती है। इस तरह की रणनीति केवल आईएसआई या सैन्य समर्थन से संभव है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि डिजिटल सबूतों से कराची और मुजफ्फराबाद में आतंकी ठिकानों के कनेक्शन का पता चला है, जो आईएसआई की संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।
गृह मंत्रालय ने हमले की जांच को एनआईए को सौंप दिया है। माना जा रहा है कि एजेंसी अब इस बात की जांच करेगी कि क्या संदिग्धों को पाकिस्तान की किसी एलीट फोर्स से प्रशिक्षण या समर्थन मिला था।
एनआईए की भागीदारी इस मामले को गंभीरता से लेने का संकेत है। एनआईए के पास आतंकी नेटवर्क को तोड़ने और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच करने का अनुभव है। यह जांच भारत-पाकिस्तान संबंधों पर भी असर डाल सकती है।
पहलगाम हमले के मुख्य संदिग्धों का पाकिस्तानी एलीट फोर्स से संभावित संबंध इस मामले को और गंभीर बनाता है। एनआईए की जाँच से सच्चाई सामने आ सकती है, लेकिन यह साफ़ है कि हमले ने भारत की सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र की कमियों को उजागर किया है।