क्या जम्मू-कश्मीर को मिला विशेष दर्जा ख़त्म कर देने से वहाँ बड़े पैमाने पर निवेश होगा और तेज़ी से आर्थिक विकास होगा? क्या अनुच्छेद 35 'ए' हटा लेने के बाद दूसरे राज्यों और विदेशों से पूंजी निवेश कश्मीर में होगा? क्या बड़े निवेश के बाद रोज़गार के मौकों में ज़बरदस्त इजाफ़ा होगा? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि यह कहा जा रहा है कि बाहर के लोगों को जम्मू-कश्मीर में अचल जायदाद ख़रीदने की छूट मिलेगी तो वे वहाँ ज़मीन खरीदेंगे, उद्योग धंधे लगाएंगे। बाहर के लोग वहाँ जाकर बसेंगे तो सस्ता श्रम मिलेगा और राज्य आर्थिक प्रगति की राह पर चल पड़ेगा। क्या सचमुच?