गुजरात में रिलायंस फाउंडेशन के विश्वस्तरीय वनतारा यानी ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर को सुप्रीम कोर्ट से आज बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल यानी एसआईटी की रिपोर्ट में वनतारा को क्लीन चिट देते हुए कहा गया कि हाथियों सहित सभी जानवरों का अधिग्रहण पूरी तरह से कानूनी और नियामक दायरे में हुआ है। अदालत ने यह भी साफ़ कर दिया कि हम इस मामले को बंद कर रहे हैं और हम रिपोर्ट को स्वीकार कर रहे हैं।

वनतारा में जानवरों के अधिग्रहण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मौखिक रूप से टिप्पणी की कि पहली नज़र में यह अधिग्रहण नियमों के अनुसार हुआ है। कोर्ट द्वारा गठित विशेष जांच दल ने अपनी जांच में कोई गड़बड़ी नहीं पाई। एसआईटी को यह जाँच करने का निर्देश दिया गया था कि क्या भारत और विदेशों से खासकर हाथियों के अधिग्रहण में सभी कानूनों का पालन किया गया है।
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क्या था मामला?

वनतारा पर कुछ लोगों ने आरोप लगाए थे कि वहां जानवरों को लाने में नियमों का उल्लंघन हुआ है। इसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल बनाया था, जिसके प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर थे। इस टीम को यह देखना था कि क्या वनतारा ने जानवरों को लाने में सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया है या नहीं।

सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस पंकज मित्तल और जस्टिस पीबी वराले की पीठ ने कहा कि उन्होंने एसआईटी की रिपोर्ट को जानबूझकर सुनवाई से पहले नहीं पढ़ा, क्योंकि वे इसे सुनवाई के दौरान देखना चाहते थे। एसआईटी के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस जे. चेलमेश्वर थे। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वनतारा की ओर से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और याचिकाकर्ता के वकील उपस्थित थे। कोर्ट ने रिपोर्ट को संक्षेप में देखा। जस्टिस मित्तल ने पढ़ा, 'जानवरों का अधिग्रहण नियामक अनुपालन में किया गया।'

जस्टिस मित्तल ने मौखिक रूप से कहा कि एसआईटी के अनुसार, जानवरों का अधिग्रहण नियामक तंत्र के अंतर्गत है। उन्होंने कहा कि कोर्ट इस रिपोर्ट को अपने आदेश का हिस्सा बनाएगा। हालाँकि, सॉलिसिटर जनरल और हरीश साल्वे ने इसका विरोध किया।

हरीश साल्वे ने तर्क दिया कि एक विशेष नैरेटिव चल रहा है और रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से अनावश्यक अटकलबाजियाँ बढ़ेंगी। साल्वे ने कहा कि जानवरों की देखभाल और अन्य प्रक्रियाओं से संबंधित कुछ गोपनीयता है। जस्टिस मित्तल ने तब कहा कि कोर्ट दोपहर के भोजन के दौरान चैंबर में आदेश पारित करेगा और फिर इस मामले को बंद कर देगा।

रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का विरोध क्यों?

हरीश साल्वे ने कहा, 'मेरी एकमात्र चिंता यह है कि जब कमेटी आई थी, वनतारा का पूरा स्टाफ़ उपलब्ध कराया गया था, सब कुछ दिखाया गया था। जानवरों की देखभाल और उनके रखरखाव से संबंधित कुछ गोपनीयता के मुद्दे हैं। इसके लिए विशेषज्ञों की मदद से बड़ी राशि खर्च की गई है और इसमें कुछ व्यावसायिक गोपनीयता भी शामिल है। माईलॉर्ड्स समझ सकते हैं, यह सुविधा विश्व स्तर पर बेजोड़ है। एक नैरेटिव चल रहा है जो इसे नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है। यदि पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक की गई, तो हम नहीं चाहते कि बाकी दुनिया को यह पता चले, क्योंकि हो सकता है कि कल न्यूयॉर्क टाइम्स या टाइम्स मैगजीन में कोई और लेख छप जाए।'
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जस्टिस मित्तल ने जवाब दिया, 'नहीं, हम इसे अनुमति नहीं देंगे। हम इस मामले को बंद कर रहे हैं और हम रिपोर्ट को स्वीकार कर रहे हैं। हम किसी को भी इस तरह की आपत्तियाँ उठाने नहीं देंगे...हम कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट हैं...अब हमारे पास एक स्वतंत्र कमेटी की रिपोर्ट है, जिसने विशेषज्ञों की मदद से सब कुछ जाँचा है। जो कुछ भी उन्होंने पेश किया है, हम उसी के आधार पर आगे बढ़ेंगे। सभी प्राधिकरण सिफारिशों और सुझावों के आधार पर कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र होंगे। आप भी बाध्य हैं, हम किसी को बार-बार सवाल उठाने नहीं देंगे।'

मंदिर के हाथी का मुद्दा

सुनवाई के दौरान एक वकील ने कोर्ट को बताया कि मंदिर के एक हाथी को ले जाने के मुद्दे पर एक नई अर्जी दाखिल की गई है। लेकिन कोर्ट ने साफ कर दिया कि वह इस नए मुद्दे पर विचार नहीं करेगा।

SIT की तारीफ

कोर्ट ने SIT की तारीफ की और कहा कि उन्होंने बहुत जल्दी और अच्छे से अपनी जांच पूरी की। कोर्ट ने यह भी सुझाव दिया कि SIT के सदस्यों को उनके काम के लिए सम्मानजनक मानदेय दिया जा सकता है।
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क्या है वनतारा?

वनतारा एक अनोखा पशु बचाव और पुनर्वास केंद्र है, जो रिलायंस फाउंडेशन द्वारा चलाया जाता है। यह दुनिया भर में अपनी तरह का एक खास केंद्र है, जहां जानवरों की देखभाल के लिए आधुनिक सुविधाएं और विशेषज्ञों की मदद ली जाती है। इस केंद्र का मकसद उन जानवरों को बचाना और उनकी देखभाल करना है, जो मुश्किल परिस्थितियों में हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने वनतारा के पक्ष में एसआईटी की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए इस मामले को बंद करने का फैसला किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जानवरों के अधिग्रहण में कोई अनियमितता नहीं पाई गई और सभी प्रक्रियाएं नियामक तंत्र के अनुरूप हैं। यह निर्णय वनतारा और रिलायंस फाउंडेशन के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है।