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वैक्सीन के लिए मजबूर नहीं किया जा सकताः सुप्रीम कोर्ट

बढ़ते कोविड 19 मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण निर्देश में कहा है कि किसी को जबरन वैक्सीन नहीं लगाई जा सकती। हालांकि मौजूदा नीति को मनमानी मानने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार किया। अदालत ने कहा कि मौजूदा सरकारी नीति को साफतौर पर मनमाना नहीं कहा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, शरीर की सुरक्षा कानून की नजर में महत्वपूर्ण है और किसी को भी टीका लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। हालांकि व्यक्तिगत अधिकारों की कुछ सीमाएं हैं, इसलिए कोई नियम सामुदायिक स्वास्थ्य के हित में लागू किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वो वैक्सीन से संबंधित रिपोर्ट को सार्वजनिक रूप से पब्लिक को उपलब्ध कराए, ताकि जनता को सही जानकारी मिल सके। लेकिन अदालत ने यह भी कहा कि पब्लिक के किसी भी प्राइवेट डेटा का उल्लेख रिपोर्ट में नही किया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर कहा गया था कि वैक्सीन को अनिवार्य बनाया जा रहा है, जो गलत है।सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जब कोरोना महामारी फैली थी तो वैक्सीन को अनिवार्य किया गया था और वो सरकार की सही नीति थी। सरकार के उस फैसले को मनमाना नहीं कहा जा सकता। अदालत ने कहा कि वो वैज्ञानिक प्रमाणों के बारे में कोई निर्णय नहीं ले सकती, क्योंकि वो इसकी एक्सपर्ट नहीं है। इसलिए वो किसी एक राय से सहमति नहीं जता सकती। जहां तक सरकार की नीति का सवाल है, उसे मनमाना नहीं कहा जा सकता।
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भारत में कोरोना के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं। रविवार को खत्म हुए सप्ताह में 41 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, हालांकि मौत का आंकड़ा स्थिर है। यानी कोरोना से मौतें नहीं के बराबर हो रही हैं। देश में 25 अप्रैल से 1 मई तक 22,200 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है। इनमें से 9684 मामले सिर्फ दिल्ली के हैं। दिल्ली इस समय टॉप पर है।कोरोना के मामले दिल्ली के अलावा यूपी, हरियाणा में मामले बढ़ रहे हैं। दूसरी तरफ केरल से अच्छी खबर है। वहां अब कोरोना के मामले कम हो रहे हैं।
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क़मर वहीद नक़वी
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