केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक अहम दलील पेश करते हुए कहा है कि वक़्फ़ इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है और न ही यह संविधान के तहत मौलिक अधिकार है। यह बयान वक्फ संशोधन अधिनियम पर चल रही सुनवाई के दौरान दिया गया। इसमें केंद्र ने इस क़ानून पर किसी भी तरह की अंतरिम रोक लगाने का विरोध किया। सुप्रीम कोर्ट में आज तीन घंटे से अधिक समय तक चली सुनवाई में केंद्र सरकार ने इस अधिनियम को संवैधानिक और वैध ठहराया।

वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएँ दायर की गई हैं जो इस क़ानून की वैधता को चुनौती देती हैं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि इस संशोधन में 'वक्फ बाय यूजर' यानी लंबे समय से उपयोग के आधार पर वक्फ संपत्ति के प्रावधान को हटाया गया है, जिससे सदियों पुरानी मस्जिदों, दरगाहों और अन्य धार्मिक स्थलों के लिए पंजीकरण दस्तावेज साबित करना असंभव हो जाएगा। सिब्बल ने दावा किया कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों को गैर-न्यायिक प्रक्रिया के ज़रिए नियंत्रित करने की कोशिश है।