शुक्रवार से शुरू हुई बीजेपी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक इस मायने में बहुत महत्त्वपूर्ण है कि तीन महीने बाद ही लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं और इन चुनावों के पहले यह आख़िरी बैठक है। दो दिनों तक चलने वाली इस बैठक में हाल के विधानसभा चुनावों में मिली पार्टी को हार की समीक्षा कर बीजेपी लोकसभा चुनाव के लिए बड़े रणनीतिक फ़ैसले लेगी और अपनी चुनावी कार्य योजना को अन्तिम रूप देगी। यह अचानक नहीं है कि ऐसी महत्त्वपूर्ण बैठक की पूर्व संध्या पर तीनों हिंदीभाषी राज्यों में हारे मुख्यमंत्रियों को बीजेपी का उपाध्यक्ष बना दिया जाए। दरअसल, इसका साफ़ संकेत यह है कि बीजेपी इन तीनों वरिष्ठ नेताओं को राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका देना चाहती है। शिवराज सिंह चौहान, रमन सिंह और वसुंधरा राजे सिंधिया क़द्दावर नेता माने जाते हैं और पार्टी इनके अनुभवों का लाभ उठाना चाहती है। लेकिन इन तीनों में भी ख़ास तौर पर शिवराज सिंह पर आरएसएस की विशेष नज़र है। संघ शिवराज को भविष्य के मद्देनज़र राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका देने की सोच रहा है।

शिवराज सिंह पर आरएसएस की विशेष नजर है। संघ शिवराज को भविष्य के मद्देनज़र राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका देने की सोच रहा है।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।