रिज़र्व बैंक के जिस रिज़र्व सरप्लस को लेकर केंद्रीय बैक और केंद्र सरकार के बीच काफ़ी दिनों से रस्साकशी चल रही थी और अंतत: गवर्नर उर्जित पटेल को पद छोड़ना पड़ा था, अब सरकार ने इस दिशा में पहली बाधा पार कर ली है। वैसे तो शक्तिकांत दास के गवर्नर बनते ही इस बात की संभावना बढ़ गई थी कि रिज़र्व सरप्लस सरकार को देने की दिशा में क़दम जल्द उठ सकता है। अब बिमल जालान की अध्यक्षता में छह सदस्यों की एक समिति बनाई गई है जो इस मुद्दे पर फ़ैसला करेगी कि रिज़र्व बैंक का इकनॉमिक फ्रेमवर्क क्या हो और सरकार को सरप्लस दिया जाए या नहीं, और दिया जाए तो कितना।
रिज़र्व बैंक से पैसे लेने की दिशा में एक क़दम आगे बढ़ी सरकार
- अर्थतंत्र
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- 27 Dec, 2018
रिज़र्व बैंक ने छह सदस्यों की समिति बनाई जो तय करेगी कि कैपिटल रिज़र्व कितना हो। इसकी रिपोर्ट के आधार पर चुनाव के पहले सरकार को मिल सकते हैं अरबों रुपये।

पहले ऐसी ख़बरें थीं कि सरकार और उर्जित पटेल में पैनल के अध्यक्ष पद को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है। सत्यहिंदी.कॉम ने भी इस विषय पर एक रिपोर्ट की थी। कहा जा रहा था कि सरकार पैनल के अध्यक्ष पद के लिए बिमल जालान को चाहती है, लेकिन पटेल राकेश मोहन को इसका अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव कर रहे थे।
संतुलन की कोशिश
जालान इस राय के माने जाते हैं कि रिज़र्व सरप्लस सरकार को देने में कोई हर्ज़ नहीं है। जबकि दूसरी तरफ़ राकेश मोहन सार्वजनिक तौर पर सरप्लस देने की बात की आलोचना कर चुके थे। राकेश मोहन का कहना था कि जोख़िम के लिए सुरक्षित रखे पैसे का इस्तेमाल सरकार को अपने खर्च के लिए नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि यह एक तरह का शॉर्टकट है और इससे अर्थव्यवस्था भी मजबूत नहीं होती है।