यह बात अब कम लोगों को याद है कि राजू श्रीवास्तव कभी सपा से जुड़े थे और बाद में उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था। कला याद रहती है, वे समझौते पीछे छूट जाते हैं जो कलाकार अपने जीवन काल में किसी प्रलोभन या दबाव में करते हैं। अब किसी को याद नहीं है कि जगजीत सिंह ने कभी अटल बिहारी वाजपेयी की लिखी बहुत मामूली कविताएं गाने की कोशिश की थी। उनके अच्छे गीत ही याद किए जाते हैं। श्रीकांत वर्मा कांग्रेस की राजनीति में रहे, यह बात भुलाई जा चुकी है, सबको 'मगध' याद है।
संस्कृति के इस रेगिस्तान में राजू की हंसी!
- श्रद्धांजलि
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- 21 Sep, 2022

स्टैंड-अप कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का आज निधन हो गया। आख़िर वह किस तरह से याद किए जाएँगे? राजू श्रीवास्तव की यूएसपी क्या थी? क्यों वे दूसरों से अलग थे?
लेकिन राजू श्रीवास्तव की कला क्या थी? वे लोगों को हंसाते थे। हंसाना कलाओं में शायद सबसे उपेक्षित काम माना जाता है। चुटकुले साहित्य की सबसे तिरस्कृत विधा है- इतने तिरस्कृत कि चुटकुले कहने वाले उनमें अपना नाम तक जोड़ना पसंद नहीं करते।
लेकिन हंसाने की परंपरा बहुत पुरानी है- विधियां भी बहुत सारी। हिंदी में हास्य कविता एक स्वतंत्र विधा हो चुकी है। साहित्य को हिंदी का संभवतः यह मौलिक योगदान है। इसके अलावा व्यंग्य में चुभन के अलावा हास्य भी होता है। फिर नाटक भी हंसाने का माध्यम रहे हैं। सर्कस में जोकर किसी भी जानवर से कम पसंद नहीं किए जाते रहे। इस वाक्य में जो छुपी हुई टीस या त्रासदी है, वह जान-बूझ कर डाली गई है- यह बताने के लिए कि हम अपने हंसोड़ लोगों का बहुत सम्मान नहीं करते। उनके साथ कई बार अमानवीय बरताव ही करते हैं।