जीने भी नहीं देते, मरने भी नहीं देते!
दिल्ली में फिर लोकतंत्र खत्म करने की तैयारी!
- विचार
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- 29 Mar, 2025


अगर 70 सदस्यीय विधान-सभा में एक नहीं दो-दो बार क्रमशः एक पार्टी 67 और 62 सीटें हासिल करती है, जिसका वोट शेयर असामान्य रूप से 50 फ़ीसदी से ज्यादा रहा हो उसकी सरकार केंद्र द्वारा नियुक्त अधिकारी के रहमोकरम पर रहे। क्या यह जनमत को नज़रअंदाज करना नहीं होगा और क्या यह केंद्र द्वारा सार्वजानिक मंचों से कहे गए सहकारी संघवाद (कोऑपरेटिव फ़ेडरलिज्म) के सिद्धांत के विपरीत आचरण नहीं होगा?
क्या तुमने मुहब्बत की, हर रस्म उठा डाली!!
-फ़ानी बदायुनी























