(प्रतीकात्मक तसवीर)
प्रोफ़ेसर जीनगर 'हर सार्वजनिक सेवा के सभी स्तरों पर पिछड़े वर्गों के पर्याप्त प्रतिनिधित्व’ की वकालत करते हैं। मेरा मानना है कि अब वह समय आ गया है जब SC/OBC के लोगों को इस राजनैतिक धोखाधड़ी और शब्दों के इस फेर के पार देखना चाहिए, और सभी जाति आधारित आरक्षणों को समाप्त करने की माँग करनी चाहिए।
(1) आरक्षण केवल 1% से कम अनुसूचित जाति को लाभ देता है, जबकि यह भ्रम पैदा करता है कि सभी अनुसूचित जाति के लोग इससे लाभान्वित होते हैं। भारत में अनुसूचित जाति के लोगों की जनसंख्या लगभग 22 करोड़ है लेकिन उनके लिए आरक्षित नौकरियाँ केवल कुछ लाख हैं। इसलिए बहुत कम अनुसूचित जाति के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलेगा, और यहाँ तक कि ये ज़्यादातर 'क्रीमी लेयर' से होंगे।
(2) आरक्षण दो कारणों से अनुसूचित जाति के लोगों को बहुत नुक़सान पहुँचा रहा है:
(a) यह एससी के लिए मनोवैज्ञानिक बैसाखी के रूप में कार्य करता है, इस प्रकार उन्हें कमज़ोर बनाता है। दूसरे शब्दों में, एससी युवाओं में एक धारणा बन जाती है कि उन्हें अध्ययन करने और कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ऐसा किए बिना भी उन्हें प्रवेश या नौकरी मिल जाएगी।
अनुसूचित जातियों को आरक्षण की इस बैसाखी को दूर फेंकना चाहिए और उन्हें साहस और दृढ़ता से कहना चाहिए कि वे कड़ी मेहनत करेंगे और उच्च जातियों के साथ प्रतिस्पर्धा करके दिखाएँगे और सिद्ध करेंगे कि वे उच्च जातियों से बुद्धिमत्ता में कम नहीं हैं।
(b) आरक्षण राजनीतिक शासकों की 'फूट डालो और राज करो' (डिवाइड एंड रूल पॉलिसी) की नीति में सहयोग दे रहा है, SC/OBC और उच्च जातियों के बीच दुश्मनी का भाव पैदा कर के। एक उच्च जाति का युवा जिसे परीक्षा में 90% मिला, उसे प्रवेश/नौकरी से वंचित किया जाता है जबकि अनुसूचित जाति/अन्य पिछड़ा वर्ग जिसे 40% अंक ही प्राप्त हुए, केवल आरक्षण के आधार पर उसे वह स्थान दिया जाता है। यह स्वाभाविक रूप से उच्च जाति के युवा के मन में जलन पैदा करता है। भारत की विशाल समस्याओं को केवल लोगों के संगठित और एक शक्तिशाली संयुक्त संघर्ष से ही दूर किया जा सकता है जो देश को पूरी तरह से बदल देगा और इसे विकसित देशों की श्रेणी में ला देगा, लेकिन इसके लिए लोगों के बीच एकता अनिवार्य है। परंतु आरक्षण हमें विभाजित करता है।
(3) हमारे राजनेता अपने वोट बैंक की राजनीति के लिए आरक्षण का उपयोग करते हैं। इसलिए आरक्षण का वास्तविक उद्देश्य एससी/ओबीसी को लाभ पहुँचाना नहीं है, बल्कि राजनेताओं को लाभ पहुँचाना है।(4) जातिगत आरक्षण ने जाति व्यवस्था को नष्ट करने के बजाए और बढ़ावा दिया है। जाति एक सामंती संस्था है और अगर भारत को प्रगति करनी है तो उसे नष्ट करना होगा लेकिन आरक्षण इसे और मज़बूत करता है।