राष्ट्रपति की मुहर लगते ही नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 अब क़ानून बन चुका है। आज की तारीख़ में यह भारत का एक अति संवेदनशील राजनीतिक विषय है। क़ानून बनने से पहले इस विधेयक के लोकसभा एवं राज्यसभा में पारित होने के समय से ही तीखी बहस, आरोप-प्रत्यारोप और हर तरह के राजनीतिक दाँव पेच देखने को मिल रहे थे। पर अब एक और विकट स्थिति पैदा होने जा रही है जिसका भारत के संघीय ढाँचे पर दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। यह विकट स्थिति है- ग़ैर-बीजेपी शासित राज्य सरकारें विरोध कर रही हैं तो केंद्र सरकार इसे कैसे लागू करा पाएगी?