एथेनाॅल परियोजना से जुड़ा एक तर्क है जो शायद अगले आम चुनाव तक चले। कहा जा रहा है कि इससे किसानों को फायदा होगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा?
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार द्वारा शुरू की गई मनरेगा योजना के लिए फंड को लगातार कम क्यों किया जा रहा है? जानिए इस योजना के बारे में पीएम मोदी ने 2015 में क्या कहा था।
जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग का कृषि पर क्या असर होगा, यह गेहूँ की फ़सल पर इस बार साफ़ दिख गया। गेहूँ के दाने सूख गए। तो क्या आगे जल्द ही भुखमरी का संकट आने वाला है?
देश में क्या गरीबी और अमीरी के बीच बढ़ती खाई का ही नतीजा है कि गौतम अडानी दुनिया के सबसे पाँच अमीरों में शामिल हो गए हैं? कोरोना जैसे संकट के बीच अडानी यह उपलब्धि कैसे हासिल कर पाए?
सांख्यिकी विभाग ने जब जीडीपी 20.1 फ़ीसदी विकास दर के आँकड़े जारी किए तो एक के बाद एक सभी टीवी चैनलों पर इसे सरकार की उपलब्धि बताया जाने लगा। लेकिन क्या इसे वाक़ई सरकार की उपलब्धि माना जा सकता है?
कोविड-19 के मुफ्त टीके के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुक्रिया अदा करने वाले ऐसे होर्डिंग्स ने कोविड काल में भी प्रचार का कारोबार करने वालों की चांदी कर दी है।
कोरोना संक्रमण पर हर रोज दिल्ली में होने वाली मीडिया ब्रीफिंग में कुछ राज्यों में बढ़ते संक्रमण का ज़िक्र विशेष रूप से किया जाता है जबकि कई राज्यों और बहुत सारे तथ्यों से आँखें मूंद ली जाती हैं।
पिछले दिनों जब देश के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटों से भरी एक एसयूवी मिली तो चिंता की रेखाएँ हर तरफ़ दिखी थीं। 12 साल पहले मुकेश अंबानी के भाई अनिल अंबानी के साथ भी ऐसी ही घटना हुई थी।
2020 की ख़ासियत यह रही है कि इस साल जितना भी बुरा हुआ, उसका आरोप मढ़ने के लिए एक खलनायक मौजूद है। ख़ासकर आर्थिक मोर्चे पर जितनी भी दुर्गति दिख रही है उसके लिए।
सोशल मीडिया पर एक तसवीर बहुत ज़्यादा चलाई जा रही है- इसमें आंदोलन कर रहे किसानों के हाथों में भीमा कोरेगाँव, शाहीनबाग़ और दिल्ली दंगों के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों के पोस्टर हैं। यह तसवीर क्या कहती है?
मध्य प्रदेश में हुई गौ-कैबिनेट की चर्चा जितनी उसकी बैठक से पहले हुई, बैठक के बाद उतनी नहीं हुई क्योंकि उसमें ऐसा कुछ हुआ ही नहीं कि कोई बड़ी चर्चा हो सके। क्या बीजेपी को वाक़ई गाय की चिंता है?