भीकाजी कामा को हम यूरोप में रहकर राष्ट्रवादी मुहिम चलाने और सभी तरह के क्रांतिकारियों को एक झंडे तले लाने वाली शख्सियत के रूप में जानते हैं, लेकिन उनके जीवन में प्लेग की महामारी ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भीकाजी कामा को हम यूरोप में रहकर राष्ट्रवादी मुहिम चलाने और सभी तरह के क्रांतिकारियों को एक झंडे तले लाने वाली शख्सियत के रूप में जानते हैं, लेकिन उनके जीवन में प्लेग की महामारी ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
मुंबई के संपन्न पारसी परिवार में जन्मी भीकाजी पटेल जब बड़ी हुईं तो परिवार उनके क्रांतिकारी विचारों से चिंतित हो उठा। फ़ैसला हुआ कि इनकी शादी कर दी जाए। जल्द ही विवाह कर दिया गया और वे शहर के मशहूर वकील रुस्तम केआर कामा के साथ डोली में विदा हो गईं। लेकिन वैवाहिक जीवन के शरुआती कुछ साल बीतने के बाद समस्याएँ खड़ी होने लगीं। वह क्रांतिकारी राष्ट्रवादी विचारों की थीं और उनके पति ब्रिटिश शासन के पक्के समर्थक। भीकाजी को समझ आ गया कि मामला ज़्यादा चलने वाला नहीं है। हालाँकि उन्होंने इसे लेकर कोई बड़ा फ़ैसला लेने के बजाए ख़ुद को सामाजिक कार्यों में लगा दिया।