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फ़ोटो साभार: ट्विटर/पीयूष राय/वीडियो ग्रैब

फ़िरोज़ाबाद में बुखार से बच्चों की मौतें और अफरा-तफरी का माहौल क्यों?

उत्तर प्रदेश में फिर बुखार का क़हर है। ख़ासकर फ़िरोज़ाबाद और इसके आसपास के क्षेत्रों में। अधिकतर बच्चे बीमार हैं। अस्पतालों में अफरा-तफरी का माहौल है। कहीं मृतकों के परिजनों की चीख की ख़बरें हैं तो कहीं बीमार बच्चों को गोद में लिए परिजनों के अस्पताल परिसर में भटकने की तसवीरें। गुरुवार तक ही फ़िरोज़ाबाद में ही बुखार जैसे लक्षणों वाले 170 मरीज़ों की मौत हो गई है। सैकड़ों बीमार हैं। 

अस्पताल में भर्ती नहीं किए जाने जैसी कई अव्यवस्थाओं का आरोप है। कोरोना की दूसरी लहर की तरह अस्पतालों में बेड नहीं होने की शिकायतें की जा रही हैं।  हालाँकि, ऐसे मरीज़ों में कोरोना पॉजिटिव की रिपोर्ट नहीं आई है। कुछ मरीज़ों में डेंगू की पुष्टि हुई है तो अन्य में एक अलग तरह के बुखार की। स्वास्थ्य आपात जैसी स्थिति पर हंगामा मचा तो विशेषज्ञों की अब तक तीन टीमें भी पहुँचीं। इसमें एक टीम केंद्र की भी शामिल है। तो इसका क्या फायदा हुआ? क्या मौतें रुकीं? क्या बीमारी का स्पष्ट पता चला? और क्या इसके इलाज के तरीक़े ढूंढे जा सके? 

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इन सवालों का जवाब इसमें मिल सकता है कि क्षेत्र में कैसे हालात हैं। 'अमर उजाला' की एक रिपोर्ट के अनुसार गुरुवार को पूरे ब्रज क्षेत्र में 19 लोगों की मौत हुई जिसमें से 11 तो सिर्फ़ फ़िरोज़ाबाद के थे। 

रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों का कहना है कि गुरुवार को राजकीय मेडिकल कॉलेज स्थित सौ शैय्या अस्पताल और नवनिर्मित इमारत में भर्ती बीमार बच्चों की संख्या 495 हो गई है। मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अन्य ज़िलों से डॉक्टर भेजने के लिए अनुरोध किया गया है। स्टाफ को भी ट्रेनिंग देकर सीधे ड्यूटी पर लगाया जा रहा है। अस्पताल में बेड बढ़वाए गए हैं। गैलरी और स्टोर रूम में भी इलाज की व्यवस्था की जा रही है। यानी हालात सुधरे नहीं, और ख़राब ही होते जान पड़ते हैं। हालाँकि, अधिकारी स्थिति बेहतर होने के दावे करते हैं। 

अस्पतालों में बच्चों को बचाने के लिए गिड़गिड़ाते हुए परिजनों के वीडियो भी सामने आए हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 5 साल की एक बच्ची को परिवार वाले फ़िरोज़ाबाद मेडिकल कॉलेज लेकर गए थे। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों ने कह दिया कि जगह नहीं है। बच्ची तड़पती रही, परिवार गिड़गिड़ाता रहा और क़रीब 3 घंटे में ही बच्ची ने दम तोड़ दिया। वीडियो में परिजन गु़स्से में दिखे। हालाँकि इस रिपोर्ट पर फ़िरोज़ाबाद मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल संगीता अनेजा ने टीवी चैनल से कहा कि मरीज़ों को भर्ती किया जा रहा है और किसी को भी मना नहीं किया जा रहा है।

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न्यूज़18 की एक रिपोर्ट के अनुसार फ़िरोज़ाबाद में एक निजी अस्पताल के बाहर 10 साल के अपने बच्चे को बचाने के लिए एक परिवार बिलख रहा था। पहले उसको तेज बुखार था और उस अस्पताल में ही इलाज कर उसको छुट्टी दे दी गई थी। जब उसको फिर से दिक्कत हुई तो परिवार वाले अस्पताल पहुँचे थे। बच्चे की चाची ने कहा, 'उसके पेट में सूजन है। अस्पताल वाले कहते हैं कि वे और अधिक मरीजों को भर्ती नहीं ले सकते हैं और उन्होंने बच्चे को आगरा ले जाने की सलाह दी है।'

बड़ी संख्या में लोगों के बीमार होने और अस्पताल में बेड की कमी की शिकायतों के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेषज्ञों की एक और टीम भेजने का फ़ैसला किया। इससे पहले भी एक टीम लखनऊ से आ चुकी थी। एक टीम पहले केंद्र सरकार भी दिल्ली से भेज चुकी है। यानी  2 सप्ताह में फ़िरोज़ाबाद जाने वाला विशेषज्ञों का यह तीसरा दल है। 

राज्य सरकार की ओर से अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि पहले जाँच दलों की रिपोर्ट का क्या हुआ? शासन को उसने यदि कोई रिपोर्ट सौंपी तो उस रिपोर्ट पर क्या कार्रवाई हुई? यह भी कि क्या वे अक्षम साबित हुई जिसके चलते दोबारा नयी टीम भेजने की ज़रूरत आन पड़ी है?

दरअसल, फ़िरोज़ाबाद में ऐसी मौतों का सिलसिला अगस्त महीने से ही चल रहा है। अगस्त महीने के आख़िर तक पूरे देश को पता चल गया था कि फ़िरोज़ाबाद में हालात बेहद ख़राब हैं। लेकिन मौत का कारण रहस्य बना रहा। यानी बड़ी संख्या में होने वाली मौत का साफ़ कारण पता नहीं चला। हालाँकि कुछ रिपोर्टों में ज़रूर कहा गया था कि ये मौतें डेंगू से रही थीं।

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केंद्र की टीम ने क्या कहा

केंद्र सरकार भी मौत का कारण जानना चाह रही थी। बीमारी की भयावहता और इसके अनियंत्रित होते चले जाने से 8 सितम्बर को केंद्र सरकार ने प्रदेश के प्रशासन को समूचे मामले में गहरी पड़ताल किये जाने के दिशा निर्देश जारी किए। केंद्र सरकार ने ख़ुद टीम भेजी। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने राज्य के मुख्य सचिव को लिखा कि केंद्रीय जाँच दल ने ज़्यादातर मामलों में मच्छर से फैलने वाली बीमारी डेंगू को सुनिश्चित किया है जबकि अनेक मामलों में ‘स्क्रब टाइफस' और 'लेप्टोस्पाइरोसिस' जैसी बैक्टीरिया जनित बीमारियों की पुष्टि भी हुई है।

बता दें कि स्क्रब टाइफस कीड़े के काटने से होता है। कीड़े के काटने के दो हफ्ते के अंदर मरीज को तेज़ बुखार होता है। आमतौर पर इस बीमारी से पीड़ित लोगों में कीड़े के काटने का निशान भी दिख सकता है। लेप्टोस्पायरोसिस जानवरों से फैलती है। यह बीमारी लेप्टोस्पायरा नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। 

ferozabad fever kills more than 170 people - Satya Hindi

बीमारों में क्या दिख रहे हैं लक्षण?

फ़िरोज़ाबाद के स्वास्थ्य अधिकारियों का ही कहना है कि उनमें से 50 फ़ीसदी से अधिक में डेंगू के लक्षण हैं। अन्य मामलों में भी डेंगू जैसे लक्षण ही देखे गए हैं। बुखार इतना तेज होता है कि यह 102 डिग्री से भी ऊपर पहुँच जा रहा है। लोगों की डीहाइड्रेशन से भी मौत हो रही है। इसके अलावा प्लेटलेट्स कम हो रहे हैं। आम तौर पर सामान्य वायरल में बुखार 3-4 दिनों में कम हो जाता है, लेकिन फ़िरोज़ाबाद के इन मामलों में 10 से 12 दिन के बाद बुखार कम होना शुरू हो रहा है। 

हालाँकि, शुरुआती तौर पर बुखार से बच्चों की मौत के कारण डेंगू, ‘स्क्रब टाइफस' और 'लेप्टोस्पाइरोसिस' बताए जा रहे हैं, लेकिन सरकार की तरफ़ से पूरी तरह स्थिति साफ़ नहीं की गई है। इसलिए डॉक्टर कुछ सावधानियाँ बरतने की सलाह दे रहे हैं। 

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बीमारी से बचाव के लिए सावधानियाँ

  • सफाई रखें, घर के आसपास भी पानी इकट्ठा नहीं होने दें।
  • मच्छरों और कीड़ों से ख़ुद का और बच्चों का बचाव करें।
  • खाना ताजा और सादा ही खाएँ, ज़्यादा तले-भुने से परहेज करें।
  • पानी उबला हुआ ही पीएँ। ख़ूब पानी पीएँ। 
  • कम बुखार होने पर पैरासीटामोल टैबलेट लें।
  • तेज़ बुखार होने पर डॉक्टर को दिखाएँ।
  • आराम करें और पूरी नींद लें।
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क़मर वहीद नक़वी
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