अमेरिका जल्दी से जल्दी अफ़ग़ानिस्तान से निकलने की कोशिश में है। आधिकारिक वार्ताकारों ने तालिबान के साथ उसके समझौते की आख़िरी पंक्तियाँ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प को सौंप दी हैं। अमेरिका और नाटो के क़रीब 31 हज़ार फ़ौजी अभी भी अफ़ग़ानिस्तान में हैं। चौदह हज़ार अमेरिकी और सत्रह हज़ार अन्य नाटो के सदस्य व अन्य देशों के।
चारों तरफ़ से ज़मीनी सीमाओं में बंद और ऐतिहासिक तौर पर अनवरत रक्तरंजित अफ़ग़ानिस्तान मध्य एशिया और मध्य पूर्व के बीच तेल की आवाजाही में बाधा की तरह फँसा पड़ा है। हालाँकि इस स्थिति को वरदान होना चाहिये था लेकिन अफ़ग़ानिस्तान इसकी वजह से अभिशप्त है। रूस और अमेरिका के बीच प्रभुत्व की लड़ाई का मैदान बन गये इस देश की कई पीढ़ियाँ इसकी क़ीमत चुका चुकी हैं।
अफ़ग़ानिस्तान से फ़ौजें वापस बुलाने से ट्रम्प को होगा चुनावी फ़ायदा?
- दुनिया
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- 25 Aug, 2019

अगले साल अमेरिका में होने वाले चुनाव को जीतने के लिये ट्रम्प ने अफ़ग़ानिस्तान से फ़ौजें वापस बुलाने का जो जुआ खेला है, उससे सिवाय उनके कि जिनको हराने अमेरिका काबुल आया था, और किसी को लाभ होता नहीं दिख रहा है। देखना यह होगा कि क्या इससे ट्रम्प को भी चुनाव में फ़ायदा मिलेगा या नहीं?