चार साल पहले 2017 की विश्व आर्थिक मंच की बैठक को याद करें। संरक्षणवाद के हिमायती डोनल्ड ट्रंप वॉशिंगटन में अपने पदारोहण की प्रतीक्षा कर रहे थे। मौक़ा देखकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने देश के सबसे बड़े दल-बल के साथ स्विट्ज़रलैंड की सैरगाह दावोस पहुँचे थे और दुनिया भर से जमा हुए मुक्त बाज़ार और वैश्वीकरण के हिमायतियों को आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण की नसीहतें दे डालीं थीं।
शी जिनपिंग ने लिखा चीन का नया इतिहास
- दुनिया
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- 12 Nov, 2021

शी का सपना चीन को एक बलशाली और स्वाभिमानी राष्ट्र के रूप में तैयार करना है जो दुनिया की आँखों में आँखें डाल कर बात कर सके। पर दुनिया के लिए चुनौती का विषय यह है कि अपने विकास के लिए निर्यात और विदेश-व्यापार निर्भर न रहकर अंतर्मुखी और आत्मनिर्भर बने चीन को सही रास्ते पर लाने के लिए कौन सा रास्ता बचेगा।
पिछले सप्ताह ग्लासगो में जमा हुए 192 से अधिक देशों के नेता शी जिनपिंग से एक बार फिर किसी वैसी ही करामात की उम्मीद कर रहे थे। लेकिन इस बार उन्होंने सबको निराश किया और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने फ़ब्ती कसते हुए कहा, जलवायु सम्मेलन में न आकर उन्होंने ‘बड़ी भूल की है।’ पर चीन के विशेषज्ञों का कहना है कि शी जिनपिंग अपनी राजनीतिक ताक़त और विरासत पक्की करने में लगे हुए थे जो सबसे बड़ा प्रदूषणकर्ता देश होते हुए जलवायु सम्मेलन में जाकर दुनिया भर की आलोचना झेलने से कहीं बेहतर विकल्प था।