अखंड इसराइल यहूदियों का वह सपना है, जिसे वे अपने अस्तित्व से जोड़ते हैं। हिब्रू बाइबिल (तनख या ओल्ड टेस्टामेंट) के अनुसार, यहोवा (यहूदी ईश्वर) ने हज़रत इब्राहीम को कनान की भूमि देने का वादा किया, जो आज का इसराइल, फिलिस्तीन, और आसपास के क्षेत्र हैं। यह प्रोमिस्ड लैंड है—ईश्वर का वायदा। इस विश्वास ने 19वीं सदी में ज़ायनवाद को जन्म दिया, जिसका लक्ष्य था दुनिया भर के यहूदियों को एकजुट कर यहूदी राष्ट्र बनाना। लेकिन 1948 में इसराइल की स्थापना के बाद अरब-इसराइल युद्ध और सात लाख फिलिस्तीनियों का विस्थापन (नकबा) इस स्वप्न को त्रासदी में बदल गया। यहूदी इसे मातृभूमि की वापसी मानते हैं, तो फिलिस्तीनी इसे तबाही। अरब देशों से घिरा इसराइल लगातार युद्धरत है, और यह कहानी सिर्फ 77 साल पुरानी नहीं, बल्कि चार हजार साल पुरानी है।
अखंड इसराइल के सपने में उलझे यहूदी!
- विश्लेषण
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- 23 Jun, 2025

अनेक यहूदी गुट 'अखंड इसराइल' के सपने में यकीन करते हैं, जो मध्यपूर्व में जारी संघर्ष की एक बड़ी वजह बनता जा रहा है। जानिए इस विचारधारा के पीछे की ऐतिहासिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि।
हज़रत इब्राहीम और अब्राहमिक धर्म
हज़रत इब्राहीम यहूदी, ईसाई, और इस्लाम—तीनों अब्राहमिक धर्मों के आध्यात्मिक पूर्वज हैं। इब्राहीम और अब्राहम एक ही हैं; बस उच्चारण और नामों में अंतर है—जैसे याकूब-जैकब, डेविड-दाऊद, और ईसा-जीसस। हिब्रू बाइबिल के अनुसार, इब्राहीम ने एकेश्वरवाद की नींव रखी। उनके बेटे इसहाक और इस्माइल थे। इसहाक के वंश से ईसा मसीह और यहूदी आए, जबकि इस्माइल के वंश से हज़रत मोहम्मद साहब और इस्लाम। ईद-उल-अज़हा की क़ुर्बानी की कहानी भी इब्राहीम से जुड़ी है।